
सच सच और केवल सच
बोलना मेरे सनम
क्या तुमने मेरे सिवा
किसी और को नहीं चाहा
किसी और देहयष्टि को नहीं छुआ
किसी युवा कामिनी के
अधरों की लाली देखकर
तुम्हारी कामुकता नहीं जगी
तुम्हारा हृदय तरंगित नहीं हुआ
तुमने नयन-मटक्का नहीं किया //
बहुत दिनों से
यह प्रश्न रेंग रहा था
मेरे हृदय में
जब से मैंने
कहते सूना था तुम्हें
अपने एक दोस्त से
घर की मुर्गी दाल बराबर
सुनो ....
अगर देखना चाहते हो मुझे सावित्री
तो तुम्हें भी सत्यभान बनना होगा //
बहुत सार्थक और तार्किक !
ReplyDeleteaap purush ho ke kaphi sanvedansheelta se naari ko vyakt kar paate ho---sab ko sita chahiye---sita to sirf Ram ki hi hai---Ram to maryada puroshottam hai---
ReplyDeleteअति सुन्दर अभिव्यक्ति I हर व्यक्ति को सत्यवान व् नारी को सावित्री का आचरण वर्ण करना ही चाहिए I यही सुखी जीवन का आधार है I
ReplyDeletebahut hi badiya ,agar sita chaahiye pahle raam bankar dikhana hi hoga
ReplyDeleteवाह बबन जी आज का काफी तार्किक प्रशन छोड़ा है !!!!!!!बहुत ही हिलाने वाला इन्सान को खुद को सोचने पर विवश करता ..चाहे इधर या उधर से !!!!!!!!!!!!!!Nirmal Paneri
ReplyDeleteबबन जी, न तो कोई सावित्री मिलेगी आपको, न ही कोई सत्यभान....................आपके पैमाने पर खरे उतरने वाले..............दिल बेचारा नादान है....................बहक जाता है.......................लेकिन तारीफ़ उसकी जो दिल और दिमाग के बीच संतुलन बना कर सही कदम उठाये!!!!
ReplyDeleteशब्दशः सच।
ReplyDeleteअगर देखना चाहते हो मुझे सावित्री
ReplyDeleteतो तुम्हें भी सत्यभान बनना होगा
सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
ReplyDeleteअगर देखना चाहते हो मुझे सावित्री
ReplyDeleteतुम्हें भी सत्यभान बनना होगा /
बहुत सही.....ताली एक हाथ से नही बजती.....हा हा हा
वाह सर जी... ये हुई न बात... बहुत सही...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete"ना सिया ना राम जगत में
ReplyDeleteहै फिर क्यूँ अभिमान जगत में
सुर तो साधे सबकी कथनी
करनी का सम्मान जगत में"
आपकी ये पोस्ट अच्छी लगी बबन जी
बहुत अच्छी रचना भ्राता श्री !
ReplyDeleteबबन जी! सार्थक और सटीक जबाब, अपने दिल से अपने को जानो....नारी तुम केवल श्रधा हो रजत.....पर आज के चकाचौंध भरे ज़िन्दगी में नारियों की ज़िन्दगी भी तंगहाल है पर पुरुषों पर शक करना उनकी फितरत है......लेकिन सच्चे प्रेम में तो 'शक' की गुंजाईश ही नहीं तो ऐसे प्रश्न ही निरर्थक लगते हैं ऐसा मेरा अनुभव है.
ReplyDeleteसादर
अति सुन्दर अभिव्यक्ति....!!
ReplyDeleteबहुत सादगीपूर्ण और प्रभावी रचना !बधाई !!
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