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Friday, January 27, 2012

मेरी अनुभूति -3


मैंने ...
एक फुद्फुदाती चिड़िया के
इन्द्रधनुषी पंखों पर अपना हाथ रखा
मुझे क्या पता था ...
मेरे हाथ गंदे/वजनी और रूखे हैं
जिसका भार वह सह नहीं सकती //

उसकी फड़फड़ाहट ने
मेरे मन को झकझोरा
यकीन मानिये .....
मेरे अंदर का रावण मर गया //

Saturday, January 21, 2012

तुम बिन कैसा बसंत


मेरे दिल की धड़कन
मेरे होठों की बुलबुल
मेरे दिए की ज्योति
तुम कहाँ हो ... प्रिय!

लोग कहते हैं
बसंत आया हैं
तुम बिन कैसा बसंत प्रिय!
सुनो !
तुम जब तक नहीं आओगी
मैं ......
फूलों पर
परागों का निषेचन कर रहे
हर भवरे /हर तितली को
उडाता फिरूंगा //
(चित्र गूगल से साभार )

Friday, January 20, 2012

मैं तुम्हें हँसने क्यों कहता हूँ ?


जानती हो प्रिय !
मैं तुम्हें हँसने क्यों कहता हूँ ...
तुम कहोगी ....
शायद ...मैं हँसते वक़्त ज्यादा सुंदर लगती हूँ /
मगर तुम गलत हो प्रिय !

तुम्हारी हंसी ...
पानी का वह छीटा है
जो सब्जी बेचने वालों द्वारा
पुरानी सब्जियों पर मारा जाता है
वे फिर से ताज़ी हो जाती हैं /
ठीक वैसे ही है
तुम्हारी हंसी //

Thursday, January 12, 2012

अपील -अन्ना को साथ देने वालों से

भ्रस्टाचार को जड़- विहीन करने से पहले ,तुम्हें सत्य पर चलना होगा
काम, क्रोध ,लोभ ,मोह के चुम्बक से तुम्हें स्वं को हरना होगा
बिगुल फुकने वाले हर नेता को , स्वं उन्हें बदलना होगा
जन-जन को समझाने से पहले , तुम्हें स्वं से लड़ना होगा //

"अयं निजः परो बेति" का बीस-फूल तुम्हें मुरझाना होगा
कदम-कदम ,हर मोड़-मोड़ पर , बिष का प्याला पीना होगा
हर शबरी के घर में जाकर , उसका फल भी चखना होगा
गाँधी बनने से पहले , पहले उन्हें तुम्हें पढना होगा //

मेरी अनुभूति -2


प्रिय !
तुम्हारे दिल की बात तो मैं नहीं जानता
मगर .... मैं
तुम्हारे बिना
उस टोंड दूध की तरह हूँ
जिसकी
मलाई निकाल ली गई हो ।

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