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Tuesday, April 24, 2012

तेरा आँचल आवारा बादल

तेरा आँचल  आवारा  बादल ,पता नहीं कहाँ बरसेगा  
 यौवन के इस  रसबेरी को पाने, कौन नहीं तरसेगा //

बूंद -बूंद मुस्कान होठों का, पता नहीं कब बन जाए ओला   
वह   होगा  शूरवीर ही ,जो झेले तेरी आँखों का  गोला  
देख लाल -लाल होठों  के फूल, तबियत  मेरी  बिगड़  रही 
उर  के  इस मक्खन  चखने, मन भवरा कब-तक तडपेगा //

सुरमई पवन हुई सुगन्धित ,और हुई सुवासित  बगिया 
कब होगा मधुर मिलन और कब मेरा  बाहं बनेगा तकिया   
हर मुस्कान एक झटका देती और हंसी गिराती बिजली 
गेसू से गिरते झरने में ,दुबकी लेने कौन नहीं तडपेगा //

Saturday, April 14, 2012

भूख तो कम हुई ,प्यास बढती गई


भूलने की कोशिस में , तुम और याद आती गई
हवा तो कम हुई , मगर वारिस बढती गई //

यादों की दरिया में मैं डूबता चला गया
भूख तो कम हुई ,मगर प्यास बढती गई //

आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
मौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई //

Tuesday, April 10, 2012

ग़ज़ल -2012

तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया
मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया //

आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए //

दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //

आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
पास आने की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //

Tuesday, April 3, 2012

भूख


रोटी .....
मिटा देता है भूख
पेट की
फिर पैदा हो जाती है
वासना की भूख
संपत्ति की भूख
नाम कमाने की भूख
दूसरों को नीचा दिखने की भूख ॥
और आदमी
जिस दिन इन भूखों को मिटा लेगा
तो क्या हम उसे आदमी कहेगें ?

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