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Wednesday, June 20, 2012

यक्ष प्रश्न

बादलों के पीछे
इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना
कमल के ऊपर
भवरे का मचलना
फूलों से लदकर
कचनार की डाली का झुक जाना
हरी दूब के उपर
ओस का टिके रहना
झरने के पानी का
पत्थरों से अठखेलियाँ करना
या फिर ....
इन सबको देखते
आपको मुस्कुराते /आँचल उड़ाते देखना
किसे अच्छा कहूँ
यक्ष प्रश्न है मेरे लिए //

27 comments:

  1. प्रश्न कठिन है पर उत्तर क्यों दिया जाये, कुछ और समय प्रतीक्षा की जाये..

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    1. जी प्रवीन भाई ... मौन की भाषा अपनाई जाए

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  2. beauty lies in the eye of beholder......

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  3. बेहतरीन सुन्दर रचना














    बेहतरीन सुन्दर रचना

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  4. यह प्रश्न सौंदर्य को मापने के लिए किया गया है... कवि नैसर्गिक सौन्दर्य का वर्णन करते प्रेयसी के सौंदर्य को देख विस्मित होकर यह प्रश्न अपने आप से कर रहा है... उत्तर भी उसे ही पता है पर यह आवश्यक तो नहीं कि हर प्रश्न का उत्तर संभव हो पर कवि कि व्याकुलता, विस्मय केवल और केवल प्रेयसी के अनुमोदन पर ही निर्भर है... आखिर प्रेयसी का सौन्दर्य भी तो नैसर्गिक ही है!!!

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  5. बहुत बढ़िया |
    बधाई ||

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  6. बहुत बढ़िया ...........

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  7. बहुत ही सुन्दर वर्णन किया बबन भाई.....सभी तुलनाएं एक से बढ़कर एक है.......श्रृंगार रस में खो जाने पर यही होता है जो आपकी इस रचना में उभर कर आया है...आती सुन्दर...
    हरी दूब के उपर
    ओस का टिके रहना
    झरने के पानी का
    पत्थरों से अठखेलियाँ करना

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  8. sabhi sundar hain .... sabhi ki tareef kijiye .... simple ....:-)))) bahut sundar shringar-ras ki kavita ban padi hai ...

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  9. जहा खूबसूरती की इतनी मिसाल हो उसमे यक्ष प्रश्न तो हमेसा विदित ही रहेगा ..

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  10. This comment has been removed by the author.

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  11. बहुत ही सुन्दर रचना बबन जी .

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  12. sundar , goodh rachana... sundar.

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  13. बढ़िया पंक्तियाँ....!!!

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  14. आपको मुस्कुराते /आँचल उड़ाते देखना
    किसे अच्छा कहूँ
    यक्ष प्रश्न है मेरे लिए //
    भाई साहब आपका बौद्धिक कोशांक कितना है ?जब सारा सौन्दर्य एक ही जगह है झील सी गहरी आँखें हैं ,हवा सी चंचलता पवन का आवेग है ,और बोलता बतियाता पैरहन हो तो और क्या चाहिए ज़िन्दगी में .देह का अतिक्रमण करता सौन्दर्य पान कर अभिभूत हुए .शुक्रिया इस छवि के लिए आबद्ध रचना के लिए .

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  15. Kavita to apni jagah hai... ladki ka photo mast dala hai

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  16. इन सब भावों को अपने मन में समाहित करने की उत्कंठा ही तुम्हारे यक्ष प्रश्न का उत्तर है।

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  17. अंजीर सोनवणेApril 5, 2013 at 8:56 PM

    अपनी प्रियतमा का अत्यंत जीवित चित्र आपने खींचा है मानो मुझे एक समय जयशंकर प्रसाद कि कामायनी कि याद दिला दि बहुत हि कारगरी से अंकित किया गया मनोरम तथा सौंदर्य का चित्र खींचा है,इतनी सुंदर कृती है इसे पढकर आप तो आप मेरे सामने भी प्रश्न खडा हो गया आपमे साक्षात सरस्वती का वास है.

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    1. my pleasure अंजीर सोनवणे jee

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  18. कबीरा मन माने की बात

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