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Tuesday, January 4, 2011

अफ़सोस

आज देखा आपका जादू
हरी दूब के
सिरों पर बैठा शबनम
मोती बन रहा था
आपके पैरों के स्पर्श से //

मुझे अफ़सोस है प्रिय !
एक बार मैंने तुमसे कहा था
अपने पैर ज़मीन पर मत रखना
गंदे हो जायेगे
अब तो मैं
बिल -गेट्स से भी ज्यादा अमीर हूँ //

21 comments:

  1. मैं तुम्हारे पास खड़ा तुम्हें ताकता रहा
    लेकिन तुम और कहीं मुझको तलाश रहीं थी,
    मैं एकटक देख रहा था तुम्हारे चेहरे को
    और तुम मुझको भीड़ में तांक रही थीं ।

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  2. bahut sunder rachna

    kabhi yha bhi aaye
    www.deepti09sharma.blogspot.com

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  3. बहुत ही खूबसूरत शब्‍द ।

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  4. आपकी लेखनी का जवाब नहीं .. और हां शीर्षक भी कितना सार्थक है .. वाकई बेहतरीन रचना

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  5. सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  6. बहुत ही प्यारे और मार्मिक शब्दों से सुसज्जित एक बेहतरीन रजना !

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  7. बबनजी..भाव सुंदर है..मेरी भी भवनायें सिहर गई..मै बिल गेट्स तो नही.पर..”तुम मुस्कराती आई और मुस्कराती चली गई..आश्वस्त हूं..कि तुम्हारे होंठो का गुलाब तोढा नही सिर्फ सूंघा था.”

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  8. क्या बात है-बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।।
    नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  9. Potential gold mines found in Kerala!!!!

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  10. वाह क्या बात कही है .... कम शब्द गहरी बात ... बहुत खूब ...

    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ..

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  11. क्या बात है जवाब नहीं बहुत खूब

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  12. जवाब नहीं ....!!
    सुंदर अभिव्यक्ति....।

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