आज देखा आपका जादू
हरी दूब के
सिरों पर बैठा शबनम
मोती बन रहा था
आपके पैरों के स्पर्श से //
मुझे अफ़सोस है प्रिय !
एक बार मैंने तुमसे कहा था
अपने पैर ज़मीन पर मत रखना
गंदे हो जायेगे
अब तो मैं
बिल -गेट्स से भी ज्यादा अमीर हूँ //
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मैं तुम्हारे पास खड़ा तुम्हें ताकता रहा
ReplyDeleteलेकिन तुम और कहीं मुझको तलाश रहीं थी,
मैं एकटक देख रहा था तुम्हारे चेहरे को
और तुम मुझको भीड़ में तांक रही थीं ।
bahut sunder rachna
ReplyDeletekabhi yha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
बहुत ही खूबसूरत शब्द ।
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteमुबारक हो।
ReplyDeleteआपकी लेखनी का जवाब नहीं .. और हां शीर्षक भी कितना सार्थक है .. वाकई बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबेहतरीन भाव।
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही प्यारे और मार्मिक शब्दों से सुसज्जित एक बेहतरीन रजना !
ReplyDeleteबबनजी..भाव सुंदर है..मेरी भी भवनायें सिहर गई..मै बिल गेट्स तो नही.पर..”तुम मुस्कराती आई और मुस्कराती चली गई..आश्वस्त हूं..कि तुम्हारे होंठो का गुलाब तोढा नही सिर्फ सूंघा था.”
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteक्या बात है-बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।।
ReplyDeleteनव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं।
bahut khubsurat yehsas .
ReplyDeleteawesome composition .
ReplyDeletePotential gold mines found in Kerala!!!!
ReplyDeletevery imaginative.....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
ReplyDeleteबिल गेट्स बनने पर बधाई !
ReplyDeleteवाह क्या बात कही है .... कम शब्द गहरी बात ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
क्या बात है जवाब नहीं बहुत खूब
ReplyDeleteजवाब नहीं ....!!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति....।