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Wednesday, February 29, 2012

सागर अब झील में बदला


एक अन्जाने अपरिचित पथ पर चलकर मैंने तुझको पाया
स्नेह,प्यार और कोमलता का , मिला है अनुपम छाया //

मन में तम का जो घेरा था ,वह उज्जवल प्रकाश में फैला
उथल-पुथल सागर सा मन ,अब विशाल शांत झील में बदला //

मारे कोई जब अब कंकड़ , उठती है मन में प्यार की उर्मियाँ
अब गीत लिखेंगी परोपकार के , मेरी यह पाँचों अंगुलियाँ //

Tuesday, February 28, 2012

प्रेम-हाइकु


लचकती डालियाँ
और चटखती कलियाँ
अब लगाओ लो ,
मुझको गलबहियां //

बलखाती सी अँखियाँ
मीठी-मीठी बतियाँ
अब लगाओ लो ,
मुझको गलबहियां //

छम-छम बाजे पैजनियाँ
चाल जैसे दौड़े हिरनियाँ
अब लगाओ लो ,
मुझको गलबहियां //

Friday, February 24, 2012

फागुनी बयार



तड़पता हूँ ,मचलता हूँ और आहें भरता हूँ
कण-कण में अब रब नहीं ,तुम्हें देखता हूँ //

पहले अकेले में मिलने से कतराता था मैं
अब यादों को याद कर अपने को कोसता हूँ //

पा लू तेरे गोरे बदन की खुशबू , किसी तरह
इस उम्मीद में अब , फागुनी बयार को चूमता हूँ //

Saturday, February 18, 2012

महका दो मेरा घर-आँगन






तेरे गोरे बदन की खुशबू
जूही-चमेली सी महके
मेरे प्यार का गीत हमेशा
तेरी लवों पर चहके //

कोमल नयनों में नित
प्रेम की भाषा दहके
ख्याबों के घर में , तुम
नित दिन आना चुपके-चुपके //


महका दो मेरा घर -आँगन
इस ऋतुराज में दिलवर
भींग जाए मेरी यह अंखियाँ
जीवन भर हँसते-हँसते //

Tuesday, February 14, 2012

तुम्हारे कपोल परागकणों से बने हैं


जबसे मैंने ....
तुम्हारे खिलखिलाते सुर्ख कपोलों पर
अपने अधरों का स्पर्श किया है ...
तबसे न जाने क्यों
ये भवरे मेरे अधरों के पीछे पड़े हैं
कई बार तुमसे पूछा इसका राज
ज़वाब में तुम मुस्कुरा देती हो
एक बात बताओ प्रिय!
क्या तुम्हारे कपोल
फूलों के परागकणों से तो नहीं बने //

हैपी वैलेंटाइन डे


लव यू ......
सुनने की चाह में
रसीले अधरों में उलझा रहा
नशीले आँखों में डुबता रहा
गोरी बाहों में झूलता रहा
और ...
सुलझे बालों से खेलता रहा
आज हैपी वैलेंटाइन डे
मेरा सपना साकार हुआ //

Friday, February 10, 2012

बताओ सनम !






रंगीन बादलों की चादर ओढें ,मदमस्त हुई है शाम
कामुक अदा देख तुम्हारी, क्यों छलक रहा है जाम //

मदहोश कली सा तेरा खिलखिलाना ,मुस्कुराना
बताओ सनम ! क्यों लट्टू है तुम पर ये सारा जमाना //

Wednesday, February 8, 2012

अनुभूति 5


शीशे के जार में
मछलियाँ कितनी खुश थीं
पानी में तैरकर //

अचानक
शीशा टूट गया
मछलियाँ फर्श पर तड़पने लगी /

तुम्हारे बिना
मैं कैसे रहता हूँ प्रिय!
प्रतिउतर में
उन तड़पती मछलियों से पूछ लेना //

Tuesday, February 7, 2012

आपकी मुस्कान


जिस तरह
बिन्दुओं से रेखा बनती है
जिस तरह
बूदों से सागर भरता है
उसी तरह
तुम्हारी हर मुस्कान से
मेरे दिल का गागर भरता है //

Friday, February 3, 2012

अनुभूति -४


वो महकते दिन
वो रंगीन रातें
सामने बैठकर
आँखों की खामोश बातें
तुम्हारे जाने के बाद
ये आँखे
अब रुलाती हैं //

वो महकती साँसें
वो छलकती बाहें
साथ-साथ रहने की कसमें
तुम्हारे जाने के बाद
अब सताती हैं //

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