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Monday, December 5, 2011

मेरी अनुभूति -1


फूल बनने को आतुर
कली में समाहित
पंखुड़ियों को
यह आभास भी नहीं हुआ होगा
कि...... एक दिन
उन्हें फूल से अलग हो जाना होगा //

ठीक इसी तरह
मुझे मालूम नहीं था प्रिय !
कि तुम्हारा साथ
एक दिन
इन्हीं पंखुड़ियों की तरह
टूट जाएगा //

Saturday, December 3, 2011

साली है दिलवाली


लगती हो तुम मेरी साली
थमती सिर्फ चाय की प्याली
आओ बैठो, संग-संग मेरे
अब कर लो कुछ हंसी-ठिठोली //

घरवाली तो दाल-भात है
तुम ऊपर की सतरंगी चटनी
वो शराब है बिना नशा की
तुम हो जैसे भंग की गोली //
आओ बैठो, संग-संग मेरे
अब कर लो कुछ हंसी-ठिठोली //

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