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Monday, November 5, 2012

ख्वाहिशों के आसमान में



मैंने
ख्वाहिशों के आसमान में
अपने दिल की कूची से
तुम्हारी मुस्कुराहटों  का रंग लेकर
इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी

पर ...
तुम्हारी एक ' ना'  ने
कूची के दो टुकड़े क्र डाले.//

मैं
कोशिश करता रहूंगा
तुम्हारी ना को हाँ में
बदलने तक  //
.

Sunday, November 4, 2012

हथेली


अमूमन ...
मुट्ठी पांच अँगुलियों से बनती है //
..
पर जब..
तुम रख देती हो
अपने पाँचों अंगुलियाँ
मेरी अँगुलियों पर
तब यह मुट्ठी
दस अँगुलियों की बनी होती है ..
जोश और ताकत से भरी //...

Wednesday, October 31, 2012

अब तुम जवाँ हो


जब तुम्हें देख .....
हवा सीटी बजाने लगे
पहाड़ों पर
जमी बर्फ पिघलने लगे
और
प्रणय -लीला में लीन
मोर-मोरनी का जोड़ा ठीठक जाय
यकीन मानों...
अब समय
आपके आँचल उड़ाने का नहीं रहा //

Saturday, October 27, 2012

स्त्री


खिलते गुलाब सी
चेहरे वाली
चाँद सी दिखने वाली
हरश्रृंगार के फूलों सी
मुस्कुराने वाली
कमल के पत्तों सी
चिकनी त्वचा वाली
मोरनी सी चलने वाली
नवयौवना ....
कभी नागिन भी बन सकती है //

फिर भी मैं
उनके कसीदे गढ़ता रहूंगा
क्योकि ...
उनसे ही सृष्टी है ..//

Saturday, October 20, 2012

गुमान


 इन गुलाबी होठों में बस्ती है मेरी जान
 अब प्यार करो या जारी कर दो फरमान //
तुमसे मिलना ,एक अनजाने रब से मिलना
आपको पाकर मुझे क्यों न हो  गुमान //

इन्द्रधनुष

अगर बूंदें न लटकती
आसमान में
तो इन्द्रधनुष ये कैसे बनता //


अगर तुम न आती
मेरे दिल में
तो जिंदगी ये कैसे चलता //

Tuesday, October 16, 2012

सोहबत


मैं रूपोश  में फिरता था , रुआब के लुट जाने से
आपकी सोहवत ने ,तो ,   मेरा रूतबा बढ़ा दिया //

आपकी चहलकदमी से, शबनम को शबाब आ गया
ज्योही रुख से नकाब हटा, सामने महताब आ गया //

(रुआब -- रोब , रूपोश - मुह छिपाने वाला , सोहबत -संगती ,शबाब - जवानी , महताब - चाँद)

Thursday, October 11, 2012

लस्सी


तुम्हारी बातें ..
आम के अंचार खाने जैसी लगती है
या फिर
ठेले पर बिक रही
गुपचुप और चाट खाने जैसा
कभी -कभी तुम्हारी बात
इडली और माशालदोसे
खाने जैसी लगती है //
और कभी-कभी
करेला का रस पीने जैसा //

ऐसा कभी नहीं लगा मुझे
तुमसे बाते कर
जैसे मै....
पी रहा होऊं
शहद और मकरंद की लस्सी

Monday, October 8, 2012

आओ ! खेलें प्यार-प्यार


प्यार डंक है
प्यार है पंख
आओ बजाएं प्यार का शंख //

प्यार नदी है
प्यार है झरना
फिर क्यों डरना //

प्यार आम है
प्यार है लीची
इसके खातिर तुम बन  जाओ दधिची //

प्यार जलेबी
प्यार है हलवा
सबको दिखाओ इसका जलवा /

Thursday, September 20, 2012

फूल और भंवरा


तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो !
कितना बेतुका सवाल पूछा तुमने
सवाल पूछने से पहले
तुम भूल गई ...
कभी तुमने मुझसे  कहा था
मैं फूल हूँ
और
तुम मेरे भंवरे //

Tuesday, September 11, 2012

मुझको अब तू माँ बना दो

अधरों का रस जी भर पी लो
उर के खिलौने से तुम खेलो
हवा बसंती , मेरी जुल्फों से लहरा दो
मक्खन  सी काया को मेरी
अब जी भर कर सहला दो
आँगन में कोई फुल खिला दो
ओ मेरे साजन !
मुझको अब तू माँ बना दो

Wednesday, August 22, 2012

ये हुस्न नहीं शराब है


Tuesday, July 24, 2012

अब बहारों की हो चली हूँ //

कभी धूल हूँ , कभी कली हूँ
बहुत देर  हो  चुकी तुम्हारे
इंतज़ार में , अब बहारों की हो चली हूँ  //

पहले तो तुम
लफ़्ज़ों के धागे और लवों की सुई से
हर जगह मेरा नाम टांक दिया करते थे
मेरी अदाओं  को छोडो
मेरी मुस्कान पर तुम रोज सौ बार मरा करते थे //

कभी कड़ी धुप हूँ ,तो कभी गुनगुनी
मुझसे क्या खता हो गई
क्यों कर देते हो ,अब हर बात अनसुनी //

मैं मयखाने नहीं जाऊँगा ,ग़मों को मिटाने
दरख्तों ने मुझसे कहा है
अब नए पत्तों को उगाने के दिन आ गए हैं //

Wednesday, June 20, 2012

यक्ष प्रश्न

बादलों के पीछे
इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना
कमल के ऊपर
भवरे का मचलना
फूलों से लदकर
कचनार की डाली का झुक जाना
हरी दूब के उपर
ओस का टिके रहना
झरने के पानी का
पत्थरों से अठखेलियाँ करना
या फिर ....
इन सबको देखते
आपको मुस्कुराते /आँचल उड़ाते देखना
किसे अच्छा कहूँ
यक्ष प्रश्न है मेरे लिए //

Monday, May 14, 2012

सावन को आने दो

छा  गयी मस्ती तुम पर गोरी ,जब  से आया सावन 
मन भवरा क्यों  मचल उठा है ,होकर  भी यह बावन //

होठो से क्यों गीत  निकलते, जो पहले  सिले  हुए थे 
क्यों आग निकलता तन -मन से,जो पहले बुझे हुए थे 
अंग-अंग क्यों हुआ है पागल ,जब से आया सावन 
मन भवरा क्यों  मचल उठा है ,होकर  भी यह बावन //

झूले में उर का  आँचल का  उड़ना, लहराना गेसू  का 
हंसी शराब सी तेरे अधरों की, और लाली टेसू सा 
लाजवंती बनी क्यों कामवंती,जब से आया सावन 
 मन भवरा क्यों  मचल उठा है ,होकर  भी यह बावन //

हर जगह अब मोर -मोरनी, हैं कानों में कुछ बतियाते 
हर जगह अब शेर-शेरनी,   क्यों नहीं शोर मचाते 
ओ सावन के बादल , क्यों बना  दिया मुझको  रावण 
मन भवरा क्यों  मचल उठा है ,होकर  भी यह बावन //


Tuesday, April 24, 2012

तेरा आँचल आवारा बादल

तेरा आँचल  आवारा  बादल ,पता नहीं कहाँ बरसेगा  
 यौवन के इस  रसबेरी को पाने, कौन नहीं तरसेगा //

बूंद -बूंद मुस्कान होठों का, पता नहीं कब बन जाए ओला   
वह   होगा  शूरवीर ही ,जो झेले तेरी आँखों का  गोला  
देख लाल -लाल होठों  के फूल, तबियत  मेरी  बिगड़  रही 
उर  के  इस मक्खन  चखने, मन भवरा कब-तक तडपेगा //

सुरमई पवन हुई सुगन्धित ,और हुई सुवासित  बगिया 
कब होगा मधुर मिलन और कब मेरा  बाहं बनेगा तकिया   
हर मुस्कान एक झटका देती और हंसी गिराती बिजली 
गेसू से गिरते झरने में ,दुबकी लेने कौन नहीं तडपेगा //

Saturday, April 14, 2012

भूख तो कम हुई ,प्यास बढती गई


भूलने की कोशिस में , तुम और याद आती गई
हवा तो कम हुई , मगर वारिस बढती गई //

यादों की दरिया में मैं डूबता चला गया
भूख तो कम हुई ,मगर प्यास बढती गई //

आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
मौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई //

Tuesday, April 10, 2012

ग़ज़ल -2012

तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया
मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया //

आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए //

दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //

आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
पास आने की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //

Tuesday, April 3, 2012

भूख


रोटी .....
मिटा देता है भूख
पेट की
फिर पैदा हो जाती है
वासना की भूख
संपत्ति की भूख
नाम कमाने की भूख
दूसरों को नीचा दिखने की भूख ॥
और आदमी
जिस दिन इन भूखों को मिटा लेगा
तो क्या हम उसे आदमी कहेगें ?

Friday, March 30, 2012

बांधों डोरी मुझसे प्यार की


अधरों की लाली , अनार सी
और कमर , तेरी कचनार सी
यू ना बैठो गोरी
बांधों डोरी मुझसे प्यार की //

यू मुस्काती तुम ,जैसे गुलमोहर
देखने , नदियाँ भी जाती ठहर
चला दो मुझ पर छप्पन -छुरी
अंखियों के कजरारी धार की //
यू ना बैठो गोरी
बांधों डोरी मुझसे प्यार की //

Saturday, March 24, 2012

इतिहास

मैं
इतिहास की पुस्तकें नहीं पढता
बाबर और औरंगजेब का इतिहास जानकार
क्यों सा तीर मार लूंगा मैं //

हर सुबह / पहली किरण के साथ
जब पीछे मुड़कर देखता हूँ
अपनी जिंदगी .....
एक जीवंत इतिहास नज़र आती है //

और मुझे
अपना ही इतिहास पढना अच्छा लगता है
इसे पढ़कर
मैं रोज
कुपथ को छोड़
सही राह चुनने में लग जाता हूँ ..//

Monday, March 19, 2012

आपकी आँखें

इन्हें समंदर कहूँ या झील
देख इन्हें, खिल जाता दिल //

इन आखों का रंग है श्यामल
जैसी इसमें खिला कोई कमल //

ये काले बादल है नीला आसमान
देख इन्हें मैं हो जाता बेईमान //

Thursday, March 15, 2012

कहीं कर न दूँ कोई नादानी





मौसम के इस रंगमहल में
लगती तुम परियों की रानी
हवा दीवानी , मेघ दीवाना
देख तुम्हारी भरी ज़वानी //

भींगें गेसू , भींगी कमर
भींग गए ये लाल अधर
भींग गए मखमली रुखसार
देख तुम्हें मैं हुआ तूफानी //

अरुणोदय के श्रींगार से
चम्-चम् करता तेरा तन
छुप जाओ तुम ,ओ कामिनी
कहीं कर न दूँ कोई नादानी ।/

Saturday, March 10, 2012

नज़र घुमा कर यूँ मुस्काना


तेरा नज़र घुमा कर यू मुस्काना
तेरी सासें गाए नया तराना
बिन मतलब मैं हुआ दीवाना //

कपोल तेरे हुए लाजवंती
अधरें तेरी हुई रसवंती
बात-बात पर यू शर्माना
बिन मतलब मैं हुआ दीवाना //

ताजमहल सी देह तुम्हारी
और मोती है ये उर का पसीना
बात-बात पर कमर लचकाना
बिन मतलब मैं हुआ दीवाना //

तेरी चुप्पी है मुझे सताती
चुप्पी में खलनायक लगती
छोडो भी अब गुर्राना
बिन मतलब मैं हुआ दीवाना //

Friday, March 9, 2012

आत्म-ज्ञान


मुझमे बुरी आदतें घर कर गई
क्योकि , किताबों के घर में,
घर बनाना मैंने मुनासिब नहीं समझा//

मैं कमज़ोर दिल रह गया
क्योकि , मैंने पिटते नहीं देखा लोहा
लोहार के घर में //

Thursday, March 8, 2012

एक दुटे दिल की आवज


खिलने को तो , कल भी खिलेगा यह गुलाब
मगर ,तुम्हारे इनकार के बाद
दिल की हसरते ,शायद ही अब खिलेगी //

मिलने को तो मिल जायेंगें , अब हर फूल को भवरा
मगर , तुम्हारे इनकार के बाद
मेरी कलम ,शायद ही कभी मिलन-गीत लिखेगी //

Sunday, March 4, 2012

प्यार की पिचकारी में छेद



गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी
चलो प्यार की फुलवारी में
संभल कर चलना मेरे हमदम
कहीं फंस न जाओ झाड़ी में //

कर ना देना छेद कभी
प्यार की इस पिचकारी में
कही छुट न जाए नमक
प्यार की इस तरकारी में //

मैं कब -तक रहूं अनाड़ी
देखकर तेरी भींगी साडी
हरदम रंग से भरा रखता हूँ
मैं अपनी प्यारी पिचकारी //

Wednesday, February 29, 2012

सागर अब झील में बदला


एक अन्जाने अपरिचित पथ पर चलकर मैंने तुझको पाया
स्नेह,प्यार और कोमलता का , मिला है अनुपम छाया //

मन में तम का जो घेरा था ,वह उज्जवल प्रकाश में फैला
उथल-पुथल सागर सा मन ,अब विशाल शांत झील में बदला //

मारे कोई जब अब कंकड़ , उठती है मन में प्यार की उर्मियाँ
अब गीत लिखेंगी परोपकार के , मेरी यह पाँचों अंगुलियाँ //

Tuesday, February 28, 2012

प्रेम-हाइकु


लचकती डालियाँ
और चटखती कलियाँ
अब लगाओ लो ,
मुझको गलबहियां //

बलखाती सी अँखियाँ
मीठी-मीठी बतियाँ
अब लगाओ लो ,
मुझको गलबहियां //

छम-छम बाजे पैजनियाँ
चाल जैसे दौड़े हिरनियाँ
अब लगाओ लो ,
मुझको गलबहियां //

Friday, February 24, 2012

फागुनी बयार



तड़पता हूँ ,मचलता हूँ और आहें भरता हूँ
कण-कण में अब रब नहीं ,तुम्हें देखता हूँ //

पहले अकेले में मिलने से कतराता था मैं
अब यादों को याद कर अपने को कोसता हूँ //

पा लू तेरे गोरे बदन की खुशबू , किसी तरह
इस उम्मीद में अब , फागुनी बयार को चूमता हूँ //

Saturday, February 18, 2012

महका दो मेरा घर-आँगन






तेरे गोरे बदन की खुशबू
जूही-चमेली सी महके
मेरे प्यार का गीत हमेशा
तेरी लवों पर चहके //

कोमल नयनों में नित
प्रेम की भाषा दहके
ख्याबों के घर में , तुम
नित दिन आना चुपके-चुपके //


महका दो मेरा घर -आँगन
इस ऋतुराज में दिलवर
भींग जाए मेरी यह अंखियाँ
जीवन भर हँसते-हँसते //

Tuesday, February 14, 2012

तुम्हारे कपोल परागकणों से बने हैं


जबसे मैंने ....
तुम्हारे खिलखिलाते सुर्ख कपोलों पर
अपने अधरों का स्पर्श किया है ...
तबसे न जाने क्यों
ये भवरे मेरे अधरों के पीछे पड़े हैं
कई बार तुमसे पूछा इसका राज
ज़वाब में तुम मुस्कुरा देती हो
एक बात बताओ प्रिय!
क्या तुम्हारे कपोल
फूलों के परागकणों से तो नहीं बने //

हैपी वैलेंटाइन डे


लव यू ......
सुनने की चाह में
रसीले अधरों में उलझा रहा
नशीले आँखों में डुबता रहा
गोरी बाहों में झूलता रहा
और ...
सुलझे बालों से खेलता रहा
आज हैपी वैलेंटाइन डे
मेरा सपना साकार हुआ //

Friday, February 10, 2012

बताओ सनम !






रंगीन बादलों की चादर ओढें ,मदमस्त हुई है शाम
कामुक अदा देख तुम्हारी, क्यों छलक रहा है जाम //

मदहोश कली सा तेरा खिलखिलाना ,मुस्कुराना
बताओ सनम ! क्यों लट्टू है तुम पर ये सारा जमाना //

Wednesday, February 8, 2012

अनुभूति 5


शीशे के जार में
मछलियाँ कितनी खुश थीं
पानी में तैरकर //

अचानक
शीशा टूट गया
मछलियाँ फर्श पर तड़पने लगी /

तुम्हारे बिना
मैं कैसे रहता हूँ प्रिय!
प्रतिउतर में
उन तड़पती मछलियों से पूछ लेना //

Tuesday, February 7, 2012

आपकी मुस्कान


जिस तरह
बिन्दुओं से रेखा बनती है
जिस तरह
बूदों से सागर भरता है
उसी तरह
तुम्हारी हर मुस्कान से
मेरे दिल का गागर भरता है //

Friday, February 3, 2012

अनुभूति -४


वो महकते दिन
वो रंगीन रातें
सामने बैठकर
आँखों की खामोश बातें
तुम्हारे जाने के बाद
ये आँखे
अब रुलाती हैं //

वो महकती साँसें
वो छलकती बाहें
साथ-साथ रहने की कसमें
तुम्हारे जाने के बाद
अब सताती हैं //

Friday, January 27, 2012

मेरी अनुभूति -3


मैंने ...
एक फुद्फुदाती चिड़िया के
इन्द्रधनुषी पंखों पर अपना हाथ रखा
मुझे क्या पता था ...
मेरे हाथ गंदे/वजनी और रूखे हैं
जिसका भार वह सह नहीं सकती //

उसकी फड़फड़ाहट ने
मेरे मन को झकझोरा
यकीन मानिये .....
मेरे अंदर का रावण मर गया //

Saturday, January 21, 2012

तुम बिन कैसा बसंत


मेरे दिल की धड़कन
मेरे होठों की बुलबुल
मेरे दिए की ज्योति
तुम कहाँ हो ... प्रिय!

लोग कहते हैं
बसंत आया हैं
तुम बिन कैसा बसंत प्रिय!
सुनो !
तुम जब तक नहीं आओगी
मैं ......
फूलों पर
परागों का निषेचन कर रहे
हर भवरे /हर तितली को
उडाता फिरूंगा //
(चित्र गूगल से साभार )

Friday, January 20, 2012

मैं तुम्हें हँसने क्यों कहता हूँ ?


जानती हो प्रिय !
मैं तुम्हें हँसने क्यों कहता हूँ ...
तुम कहोगी ....
शायद ...मैं हँसते वक़्त ज्यादा सुंदर लगती हूँ /
मगर तुम गलत हो प्रिय !

तुम्हारी हंसी ...
पानी का वह छीटा है
जो सब्जी बेचने वालों द्वारा
पुरानी सब्जियों पर मारा जाता है
वे फिर से ताज़ी हो जाती हैं /
ठीक वैसे ही है
तुम्हारी हंसी //

Thursday, January 12, 2012

अपील -अन्ना को साथ देने वालों से

भ्रस्टाचार को जड़- विहीन करने से पहले ,तुम्हें सत्य पर चलना होगा
काम, क्रोध ,लोभ ,मोह के चुम्बक से तुम्हें स्वं को हरना होगा
बिगुल फुकने वाले हर नेता को , स्वं उन्हें बदलना होगा
जन-जन को समझाने से पहले , तुम्हें स्वं से लड़ना होगा //

"अयं निजः परो बेति" का बीस-फूल तुम्हें मुरझाना होगा
कदम-कदम ,हर मोड़-मोड़ पर , बिष का प्याला पीना होगा
हर शबरी के घर में जाकर , उसका फल भी चखना होगा
गाँधी बनने से पहले , पहले उन्हें तुम्हें पढना होगा //

मेरी अनुभूति -2


प्रिय !
तुम्हारे दिल की बात तो मैं नहीं जानता
मगर .... मैं
तुम्हारे बिना
उस टोंड दूध की तरह हूँ
जिसकी
मलाई निकाल ली गई हो ।

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