आ गई एक ताजगी सुर्ख लाल हो गई कपोलें खिलखिलाने लगी तुम्हारे लवों की पंखुड़ियां मेरे आने के बाद // ठीक वैसे ही मानो खिलखिलाने लगी धूल (गर्द) से लिपटे फूल और पत्ते एक हलकी बारिश के बाद //
.................................... "तुमने मेरी पत्नी की बेइज्जती की थी" नयी पोस्ट पर आपकी टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी. "arvindjangid.blogspot.com" ....................................
बहुत खूब....
ReplyDeleteअति सुन्दर, वधाई
ReplyDeleteati sundar kalpana,sikta
ReplyDeleteवाह वाह , क्या मस्त लिखा है .
ReplyDeleteवाह! क्या मस्त लिखा है| वधाई|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteअति सुन्दर........,
ReplyDeleteवधाई..!!
वाह जी वाह.....आभार.
ReplyDelete....................................
"तुमने मेरी पत्नी की बेइज्जती की थी" नयी पोस्ट पर आपकी टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी. "arvindjangid.blogspot.com"
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ati sundar kalpnao se otprot rachna hai sir.
ReplyDeletenice 1
ReplyDelete'नई ताजगी' .. वाह बहुत खूब ,
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