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Monday, January 10, 2011

मैं और तुम


आ गई एक ताजगी
सुर्ख लाल हो गई कपोलें
खिलखिलाने लगी
तुम्हारे लवों की पंखुड़ियां
मेरे आने के बाद //
ठीक वैसे ही
मानो खिलखिलाने लगी
धूल (गर्द) से लिपटे फूल और पत्ते
एक हलकी बारिश के बाद //

11 comments:

  1. अति सुन्दर, वधाई

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  2. वाह वाह , क्या मस्त लिखा है .

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  3. वाह! क्या मस्त लिखा है| वधाई|

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  4. अति सुन्दर........,
    वधाई..!!

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  5. वाह जी वाह.....आभार.

    ....................................
    "तुमने मेरी पत्नी की बेइज्जती की थी" नयी पोस्ट पर आपकी टिपण्णी की प्रतीक्षा रहेगी. "arvindjangid.blogspot.com"
    ....................................

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  6. ati sundar kalpnao se otprot rachna hai sir.

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  7. 'नई ताजगी' .. वाह बहुत खूब ,

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