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Friday, February 10, 2012

बताओ सनम !






रंगीन बादलों की चादर ओढें ,मदमस्त हुई है शाम
कामुक अदा देख तुम्हारी, क्यों छलक रहा है जाम //

मदहोश कली सा तेरा खिलखिलाना ,मुस्कुराना
बताओ सनम ! क्यों लट्टू है तुम पर ये सारा जमाना //

5 comments:

  1. वाह सर, अब इस प्रश्न का ज़वाब क्या आपको मिलेगा /
    सुन्दर पोस्ट

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    1. प्रश्न तो महिलाओं से पूछा गया है माधवी जी

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  2. वाह , कमाल है भईया ...............यही कहूँगा ..... एक बार जब तुमको जब बरसते पानियों के पार देखा था.... हमने ख़ुश्बू भरी तुम्हारी आँखों में खुद को गुलज़ार देखा था... सादर आभार ..//

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  3. मदहोश कली सा तेरा खिलखिलाना ,मुस्कुराना
    बताओ सनम ! क्यों लट्टू है तुम पर ये सारा जमाना।

    क्या बात है । धन्यवाद ।

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