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बादलों के पीछे इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना कमल के ऊपर भवरे का मचलना फूलों से लदकर कचनार की डाली का झुक जाना हरी दूब के उपर ओस ...
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नीलगगन सी तेरी साडी गहने चमके जैसे मोती आओ प्रिय ,अब साथ चले हम बनके जीवन साथी // उपवन के फूलों सी जैसी खुशबू तेरे बालों की परागकणों से लद...
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आह भी तुम, वाह भी तुम मेरे जीने की राह भी तुम छूकर तेरा यौवन-कुंदन उर में होता है स्पंदन पराग कणों से भरे कपोल हर भवरे की चाह तो तुम// छंद...
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अनजान,अपरिचित थी तुम जब आई थी मेरे आँगन खोज रहे थे नैन तुम्हारे प्रेम ,स्नेह का प्यारा बंधन // जब आँगन में गूंजी किलकारी खिल उठे चहु ओर...
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मैंने ख्वाहिशों के आसमान में अपने दिल की कूची से तुम्हारी मुस्कुराहटों का रंग लेकर इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी पर ... तुम...
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गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी चलो प्यार की फुलवारी में संभल कर चलना मेरे हमदम कहीं फंस न जाओ झाड़ी में // कर ना देना छेद कभी प्यार की इस पिच...
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आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गय...
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बादल बरसे घनन -घनन पायल बाजे छनन -छनन मस्त पवन में बार-बार ,तेरा आँचल उड़ता जाए देख तुम्हारा रूप कामिनी, कौन नहीं ललचाए // हर पत्ता बोले...
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तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया // आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने मगर आप खुद ही अश्...
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कई रंग देखे ,कई रूप देखे और देखें मैंने कितने गुलाब कई हंसी देखे,देखी कितनी मुस्कुराहटें मगर नहीं देखा तुमसा शबाब // (अपने मित्र अजेशनी...
बहुत,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,सुंदर फागुनी रचना के लिए बधाई,.....
ReplyDeleteMY NEW POST...आज के नेता...
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteहो जाएँगी जिन्दा सभी वीरान महफ़िलें.ये हमनशीं लबों की प्यास सभी जिन्दगी की हद में हैं ....उसको बना लो अपना जो उस पार भी चले ...बहुत - बहुत बधाई आदरणीय भाई जी ..//
ReplyDeleteसीने में उठती है जो लहर ,मुहब्बत नाम है ....दिलबरों का ऐसे ही नहीं चाहत - ऐ- इनाम है ..!!! बहुत -बहुत .बधाई आदरणीय भाई जी ..//
ReplyDeleteजय हो, नये मानक स्थापित कर रहे हैं..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति,
ReplyDeleteफागुनी बयार को चूमता हूँ //
ReplyDeleteWAAH SIR... BAHUT SUNDAR...
पा लू तेरे गोरे बदन की खुशबू , किसी तरह
ReplyDeleteइस उम्मीद में अब , फागुनी बयार को चूमता हूँ //
बहुत खूब तसव्वुर है .