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Tuesday, February 14, 2012
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बादलों के पीछे इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना कमल के ऊपर भवरे का मचलना फूलों से लदकर कचनार की डाली का झुक जाना हरी दूब के उपर ओस ...
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नीलगगन सी तेरी साडी गहने चमके जैसे मोती आओ प्रिय ,अब साथ चले हम बनके जीवन साथी // उपवन के फूलों सी जैसी खुशबू तेरे बालों की परागकणों से लद...
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आह भी तुम, वाह भी तुम मेरे जीने की राह भी तुम छूकर तेरा यौवन-कुंदन उर में होता है स्पंदन पराग कणों से भरे कपोल हर भवरे की चाह तो तुम// छंद...
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अनजान,अपरिचित थी तुम जब आई थी मेरे आँगन खोज रहे थे नैन तुम्हारे प्रेम ,स्नेह का प्यारा बंधन // जब आँगन में गूंजी किलकारी खिल उठे चहु ओर...
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मैंने ख्वाहिशों के आसमान में अपने दिल की कूची से तुम्हारी मुस्कुराहटों का रंग लेकर इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी पर ... तुम...
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गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी चलो प्यार की फुलवारी में संभल कर चलना मेरे हमदम कहीं फंस न जाओ झाड़ी में // कर ना देना छेद कभी प्यार की इस पिच...
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आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गय...
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बादल बरसे घनन -घनन पायल बाजे छनन -छनन मस्त पवन में बार-बार ,तेरा आँचल उड़ता जाए देख तुम्हारा रूप कामिनी, कौन नहीं ललचाए // हर पत्ता बोले...
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तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया // आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने मगर आप खुद ही अश्...
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कई रंग देखे ,कई रूप देखे और देखें मैंने कितने गुलाब कई हंसी देखे,देखी कितनी मुस्कुराहटें मगर नहीं देखा तुमसा शबाब // (अपने मित्र अजेशनी...
aapka zawwab nahi hai sir jee/
ReplyDeletewah
ReplyDeleterahiman heera kab kahe lakh taka mero mol
sahi kaha aapne Avinash jee/
Delete.
ReplyDeleteबबन भैया,
अतिशयोक्ति अलंकार का ये अभिनव प्रयोग स्वप्न परी के अधरों को एक अपूर्व सौंदर्य प्रदान कर रहा है।
राम तेरी लीला!
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वाह!!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,आपका जबाब नहीं.......बेहतरीन
ReplyDeleteMY NEW POST ...कामयाबी...
wahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh
ReplyDeletekyaa rang hai,,,,,,,,,,,,janaab,,,,,,,,,,,,,,,
अहा, परागकण..
ReplyDeleteBadaa sundar likhaa hai aapne.......क्या तुम्हारे कपोल
ReplyDeleteफूलों के परागकणों से तो नहीं बने...Lajwaab panktiyaan hai....badhaai.....
खूब बब्बन भाई ! क्या अद्भुत कल्पना है......सुंदर भावाभिव्यक्ति ......सुंदर शब्द चयन...अच्छा लगा...
ReplyDeleteभईया .. कमाल - कमाल और सिर्फ कमाल है आपकी जादुई लेखनी का .........मरहबा //बधाई स्वीकारें //
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
Delete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
अगर भौंरें आपके अधरों के पीछे हैं तो सवाल लाज़मी है । सुंदर कोमल अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteकपोलों की मिठास का बेहतरीन अतिश्योक्ति पूर्ण प्रतीक......बधाई....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
सुन्दर शब्दों में कोमल भावनाओं का जादुई स्पर्श. बधाई इस प्रेम गीत की सुन्दर तरीके से की गयी प्रस्तुति के लिए.
ReplyDeleteati sundar komal prastuti.....
ReplyDeleteKmal hai
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