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Thursday, March 15, 2012
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बादलों के पीछे इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना कमल के ऊपर भवरे का मचलना फूलों से लदकर कचनार की डाली का झुक जाना हरी दूब के उपर ओस ...
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नीलगगन सी तेरी साडी गहने चमके जैसे मोती आओ प्रिय ,अब साथ चले हम बनके जीवन साथी // उपवन के फूलों सी जैसी खुशबू तेरे बालों की परागकणों से लद...
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आह भी तुम, वाह भी तुम मेरे जीने की राह भी तुम छूकर तेरा यौवन-कुंदन उर में होता है स्पंदन पराग कणों से भरे कपोल हर भवरे की चाह तो तुम// छंद...
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अनजान,अपरिचित थी तुम जब आई थी मेरे आँगन खोज रहे थे नैन तुम्हारे प्रेम ,स्नेह का प्यारा बंधन // जब आँगन में गूंजी किलकारी खिल उठे चहु ओर...
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मैंने ख्वाहिशों के आसमान में अपने दिल की कूची से तुम्हारी मुस्कुराहटों का रंग लेकर इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी पर ... तुम...
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गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी चलो प्यार की फुलवारी में संभल कर चलना मेरे हमदम कहीं फंस न जाओ झाड़ी में // कर ना देना छेद कभी प्यार की इस पिच...
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आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गय...
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बादल बरसे घनन -घनन पायल बाजे छनन -छनन मस्त पवन में बार-बार ,तेरा आँचल उड़ता जाए देख तुम्हारा रूप कामिनी, कौन नहीं ललचाए // हर पत्ता बोले...
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तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया // आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने मगर आप खुद ही अश्...
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कई रंग देखे ,कई रूप देखे और देखें मैंने कितने गुलाब कई हंसी देखे,देखी कितनी मुस्कुराहटें मगर नहीं देखा तुमसा शबाब // (अपने मित्र अजेशनी...
A Very sensational poem.. vow...keep writing../
ReplyDeleteश्रंगारपूर्ण काव्य..
ReplyDeleteक्या बात.. क्या बात .. वाह ! !
ReplyDeleteआपकी इस रचना को पढकर बस इतना ही कहुगां,...
ReplyDeleteवाह!!!!!!क्या बात,क्या बात,क्या बात है,.....बबन जी,.....
बहुत खूब!
ReplyDeleteमौसम के इस रंगमहल में
ReplyDeleteलगती तुम परियों की रानी
हवा दीवानी , मेघ दीवाना
देख तुम्हारी भरी ज़वानी //
वैसे तो नख शिख वर्रण में आप कटि प्रदेश से नीचे जघन प्रदेश तक भी आ सकतें हैं ,ओस संसिक्त केले के तने सी जंघाओं का भी चित्र प्रस्तुत कर सकतें हैं लेकिन भाई बब्बन हवा को बादल को दीवाना होने दीजिये ,गाने दीजिये झूमने दीजिये प्रेयसी को देख .आप फूल के कुप्पा होते रहिये .अच्छी रोमांटिक पोस्ट नैन सुख बिखेरती .श्रृंगार शब्द ठीक कर लें .
बहुत बढ़िया .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता.....