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Thursday, March 8, 2012

एक दुटे दिल की आवज


खिलने को तो , कल भी खिलेगा यह गुलाब
मगर ,तुम्हारे इनकार के बाद
दिल की हसरते ,शायद ही अब खिलेगी //

मिलने को तो मिल जायेंगें , अब हर फूल को भवरा
मगर , तुम्हारे इनकार के बाद
मेरी कलम ,शायद ही कभी मिलन-गीत लिखेगी //

8 comments:

  1. मिलने को तो मिल जायेंगें , अब हर फूल को भवरा//
    waah sir jee... kya baat kahi aapne

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  3. Replies
    1. मिलने को तो मिल जायेंगें , अब हर फूल को भवरा
      मगर , तुम्हारे इनकार के बाद
      मेरी कलम ,शायद ही कभी मिलन-गीत लिखेगी
      बबन भाईसाहब...बहुत ही भावपूर्ण पंक्तियाँ...... दिल को छू लेने वाली |

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  4. :) :)
    ये भी एक भाव आएगा इसी के साथ:)

    फिर बहारें आयेंगी; फिर गुलशन जवाँ होंगे
    ज़िन्दगी में फिर किसी मोड़ पर हम मिलेंगे!

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  5. सुंदर भाव भाई जी प्रेम भरे !!

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  6. वाह !
    क्यूं रोये जमाने के डर से ? जमाना तो वैसे भी रुलाता है !
    आज गर कुम्हला गये है तो कल फिर कली बन के आयेंगे

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  7. भावों का सुन्दर प्रगटीकरण ।।

    शुभकामनायें |

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