
मौसम के इस रंगमहल में
लगती तुम परियों की रानी
हवा दीवानी , मेघ दीवाना
देख तुम्हारी भरी ज़वानी //
भींगें गेसू , भींगी कमर
भींग गए ये लाल अधर
भींग गए मखमली रुखसार
देख तुम्हें मैं हुआ तूफानी //
अरुणोदय के श्रींगार से
चम्-चम् करता तेरा तन
छुप जाओ तुम ,ओ कामिनी
कहीं कर न दूँ कोई नादानी ।/
A Very sensational poem.. vow...keep writing../
ReplyDeleteश्रंगारपूर्ण काव्य..
ReplyDeleteक्या बात.. क्या बात .. वाह ! !
ReplyDeleteआपकी इस रचना को पढकर बस इतना ही कहुगां,...
ReplyDeleteवाह!!!!!!क्या बात,क्या बात,क्या बात है,.....बबन जी,.....
बहुत खूब!
ReplyDeleteमौसम के इस रंगमहल में
ReplyDeleteलगती तुम परियों की रानी
हवा दीवानी , मेघ दीवाना
देख तुम्हारी भरी ज़वानी //
वैसे तो नख शिख वर्रण में आप कटि प्रदेश से नीचे जघन प्रदेश तक भी आ सकतें हैं ,ओस संसिक्त केले के तने सी जंघाओं का भी चित्र प्रस्तुत कर सकतें हैं लेकिन भाई बब्बन हवा को बादल को दीवाना होने दीजिये ,गाने दीजिये झूमने दीजिये प्रेयसी को देख .आप फूल के कुप्पा होते रहिये .अच्छी रोमांटिक पोस्ट नैन सुख बिखेरती .श्रृंगार शब्द ठीक कर लें .
बहुत बढ़िया .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता.....