सहसा मेरी नज़र उस विज्ञापन पर पड़ी ,जिसमे क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी बता रहे थे ॥" सिर्फ १४११ बचे है "
उसके नीचे एक बाघ का फोटो ॥
जिन बाघों से हमारे दादा -दादी हमको डराते थे ,आज वे स्वम विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चूके है ॥
भारत में बाघों के संरक्षण एवं प्रजनन को लेकर " टाईगर प्रोजेक्ट " की शुरुयात सन १९७३ में की गई । अब तक देश भर में २७ बाघ अभ्यारण्य काम कर रहे है ॥ वर्ष २०००-२००१ तक भारत के कुल ३७,७६१ वर्ग किलोमीटर में यह फैला हुआ है ।
मुझे कहते हुए गर्व हो रहा है कि बिहार में भी एक बाघ अभ्यारण्य है । यह बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा अनुमंडल में अवस्थित है । इसे " वाल्मीकिनगर टाईगर प्रोजेक्ट " के नाम से जाना जाता है । उत्तर प्रदेश ,नेपाल और बिहार कि सीमा पर अवस्थित वाल्मीकिनगर जैव -प्रयटन के लिया विख्यात है ।यह पश्चिम चंपारण जिला के मुखायल बेतिया से १२० किलोमीटर दूर अवस्थित है । नजदीकी रेलवे स्टेशन बगहा है ..जो कि मुज़फ्फर पुर -गोरखपुर रेल -खंड का एक प्रमुख स्टेशन है । यहाँ रुकनेवाली महत्वपूर्ण गाडियों में सप्तक्रांति एक्सप्रेस ,मुजफ्फरपुर -देहरादून ,पुवांचल एक्सप्रेस ..मुख्य है । बगहा से वंलिकिनगर के लिए बसे और प्राइवेट टैक्सियाँ चलती है । दुरी करीब ४५ किलोमीटर है ,जिसमे ३० किलोमीटर का रास्ता घने जंगलों से होकर जाता है । फलदार वृक्षों की कमी है फिर भी बंदरों के झुण्ड आपको सडकों पर उछल- कूद करते मिलेगें ।
बगहा से वाल्मीकिनगर जाने के क्रम में नौरंगिया नामक स्थान के बाद मुख्य सड़क किनारे ..एक स्थान है जहाँ स्थानीय निवासी पूजा करते है ,वहाँ के पेड़ों पर चम्गादरो का एक झुण्ड रहता है ..ये चम्गादर लगभग ३-४ किलोग्राम के है ..इन्हें कोई नहीं मारता ।
वाल्मीकिनगर में गंडक नदी पर बराज बना है ,बराज पर बने पुल से नदी पार कीजिये ,आप नेपाल की धरती पर अपनेआप को चहलकदमी करते हुए पायेगे । गर्मी कितनी भी हो ,अगर आप बराज पर आ गए तो बराज के अपस्ट्रीम में बने जलाशय से होकर गुजरनेवाली शीतल हवाए आपका स्वागत करेगी और इस सुखद एहसास को आप भुला नहीं पायेगे ।
अगर दिन साफ़ हो तो आपको बराज से हिमालय की धवल चोटियाँ साफ़ नज़र आएगी । लगभग चार से पांच शाम के समय जब सूर्य की किरणे वर्फ की चोटियों पर तिरछे पड़ती है तो ..श्वेत धवल चोटियाँ का इन्द्रधनुषी परिवर्तन अवर्णनीय है ।
प्रसंग वश मैं यहाँ बता देना चाहता हूँ कि मैं २००५ से २००९ तक दोन शाखा नहर के शीर्ष -भाग का अवर -प्रमंडल -पदाधिकारी के रूप में कार्यरत था ...दोन शाखा नाहर के द्वारा नेपाल -पूर्वी -नहर को पानी दिया जाता है । और मैंने इन प्राकृतिक नजारों का भरपूर सेवन किया है ।
वाल्मीकिनगर में ठहरने के लिए बिहार राज्य प्रयतन विकास निगम का होटल " वाल्मीकि विहार " अवस्थित है जहाँ लगभग २५० ( दो सौ पचास ) रूपये प्रतिदिन का किराया लगता है । साथ ही जल -संसाधन विभाग का विश्राम गृह तथा बिहार राज्य हैड्रो पवार निगम का विश्राम गृह उपलब्ध है ।
जिन्हें जंगल और उसकी सुन्दरता से प्रेम है ,उन्हें यह जगह गले लगाता है । बीच जंगलो में नर देवी का मंदिर और जटाशंकर का मंदिर मन को मोह लेता है । एक किलोमीटर पैदल चलने की ईच्छा आपको नेपाल के चितवन जिले के घने जंगलों में अवस्थित वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में ले जायेगी । कहते है माता सीता ने लंका से लौटने के बाद अपना समय इन्ही जंगलों में गुजारा था तथा लव -कुश का जन्म भी यही हुआ था । नेपाली वास्तु कला से परिपूर्ण माता जानकी एवं वाल्मीकि ऋषि का आश्रम देखकर आप मन्त्र -मुग्ध हो जायेगे । मंदिर के पुजारी श्री शेकर द्विवेदी आपको मंदिर एवं पुराने यादगार प्रतीकों को बड़े ही धैर्य -पूर्वक बताते है । वाल्मीकि आश्रम तक जाने के क्रम में दो नदियाँ "तमसा " एवं "सोनहर" आपके चरण धोएगी । गोल -गोल पत्थरो के बीच नदी की बहती जल- धारा आपको रंग -विरंगे शालिग्राम चुनने पर विवश कर देगी ।
भारत -नेपाल के खुले सीमा का लाभ अराजक तत्व न उठावे ..इसलिए सीमा शस्त्र बल की १२ वी बटालियन यहाँ तैनात है ...रोज सुबह जंगलों में इनका परेड देखना भी अच्छा लगता है ।
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अच्छी पहल है बबन जी. सबका बिहार के बारे में ज्ञानवर्धन होगा
ReplyDeletethanks S.D.Tiwari ji ....
ReplyDeleteअद्भुत बिहार....आज तक तो पर्यटन विभाग भी नालंदा और गया जैसे क्षेत्रो तक को ही पर्यटक स्थल बताता था.... पर आज आपने बड़ी अच्छी जानकारी .... वो भी प्रकृति के रंग में रंग कर .............सुक्रिया.....भाई जी,.,.,.
ReplyDeletethanks...priyadarshan sharma ji ...keep reading
ReplyDeleteBabanji, behtareen varnan kiya hai aapne. Padhkar ichcha ho rahi hai wahan ghoom aane ki.
ReplyDeletethanks .Vijaylakshmi ji
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर जानकारी ! वो भी हमारे अपने प्रदेश के बारे में! बहुत ही सुखद अनुभुति प्रदान करता है! सुक्रिया भाई साहब !
ReplyDeleteये बहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने हमारे प्रदेश के बारे में! खास करके हम जैसे परदेश में रहने वाले लोगों के लिए ! ये जानकर बहुत ही अच्छा लगता है कि हमारा प्रदेश भी किसी से कम नहिं ! इतनी अच्छी जानकारी के लिए आपका तहे दिल से सुक्रियादा करता हुँ !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletenice post!
ReplyDeletemere mausa ji ki posting valmikinagar hua karti thi(long time back ... ),
heard about the place from my mother.....
nice to read here abt it!
thanks...@ anupma pathak ji ,ajay ji and Shashi bhushan ji ..keep reading
ReplyDeletebahut sundar bhaiya....ye sari jagon par mai bhi ghum aayi hun ..bahut sundar jagah hai ...triveni to kitani bar nahaya hai ...chhote par...wahin pas me mere papa ka ghar bhi padata hai ...jahan kabhi -kbhi wo log bhi jate hain ....man ko mere aap purani yadon me pahuncha diye...man bihawal ho gaya hai ....un yadon me dubkar...ab to kabhi jana nahi hota hai ...to yaden hi shesh hai ...
ReplyDeletewahan betiyan se aage ka warnan kijiye jo thori jangal hai ....pani ki chakki jharane..mujhe kuchh -kuchh yad hai...agar aap wahan ki yaden aur taza kar den to aabhari hun ....aapki chhoti
..बेतिया से करीब ..५० -६० किलोमीटर दूर है ..ठोरी का जंगल ..इसे भिखनाठोरी भी
ReplyDeleteकहते है ...नरकटिया गंज रेलवे स्टेशन से अभी भी ट्रेन जाती है ...रास्ते में प्रसिध फिल्म कलाकार "..मनोज बाजपेई " जी का भी घर है ...गौनाहा ब्लाक में पड़ता है ...आज भी झरने है ..
और प्राकृतिक सुन्दरता के क्या कहने ...बर्फ की चोटियाँ साफ़ झलकती है ...बादल...पहाड़ो पर उगे ...पेड़ों से जब टकराती है ...दृश्य ..अवर्णनीय हो जाता है ..
...पत्थर और बालू ...की अवैध निकासी के कारण....कुछ वातावरण ख़राब हो रहा था ...
सरकार के प्रयास से अब उसे बंद कर दिया गया है ....
मेरा ब्लॉग पढ़े
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