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Monday, October 8, 2012

आओ ! खेलें प्यार-प्यार


प्यार डंक है
प्यार है पंख
आओ बजाएं प्यार का शंख //

प्यार नदी है
प्यार है झरना
फिर क्यों डरना //

प्यार आम है
प्यार है लीची
इसके खातिर तुम बन  जाओ दधिची //

प्यार जलेबी
प्यार है हलवा
सबको दिखाओ इसका जलवा /

15 comments:

  1. प्यार जलेबी
    प्यार है हलवा
    सबको दिखाओ इसका जलवा /
    SIR AAPKA ANDAAZ NIRALA HAI .. WAAH!
    MADHVI mishra

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  2. bahut badhiya likha hai,pyaar ke anek roop hai jinme se kuchh ka varnan aapne kiya hai....

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  3. bahut acha--pandey ji ,,a new touch

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  4. प्यार आम है
    प्यार है लीची
    इसके खातिर तुम बन जाओ दधिची //.......दधीचि........

    ऐसी रसीली विटामिन और सम्पूरण से भरपूर कविता का मुद्दत से इंतज़ार था .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012
    प्रौद्योगिकी का सेहत के मामलों में बढ़ता दखल (समापन किस्त )

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  5. हलुवा कर लो भैया हलवा को .


    प्यार जलेबी
    प्यार है हलवा
    सबको दिखाओ इसका जलवा /

    प्यार का प्यार स्वीट डिश की स्वीट डिश .बहुत खूब .हमतो कहते ही हैं इसे स्वीट डिश .

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  6. उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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    1. शुक्रिया रविकर जी ...
      इस पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए

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  7. प्यार जलेबी
    प्यार है हलवा
    सबको दिखाओ इसका जलवा,,,,,वाह,,,आपका जबाब नही बबन जी,,,,

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  8. aise pyaar ko jankar muh me pani aa raha hai...

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  9. वाह जी वाह क्या कहना

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  10. प्यार के खातिर दधिची बनना तो लाजिमी है,

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