
मीठी मुस्कान और हंसी निराली
शांत चित वाली जैसे कोई साध्वी
गंध छिपे हैं जैसे सुमन में
वैसी ही हो तुम,मेरी माधवी //
मैं पौधा ,तुम लता अनजानी
आओ कर ले ,दो बातें रूमानी
हर पथ पर हैं ,कांटे -कटीले
फिर भी तुम गाती राग ताण्डवी //
(ताण्डवी - संगीत का एक राग )
खूबसूरत प्रस्तुति , आभार .
ReplyDeleteबबन पाण्डेय जी,..आप भी क्या खूब लिखते है..मै पौधा,तुम लता अनजानी...सुंदर प्रस्तुति
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