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Thursday, October 6, 2011

तेरी आँखें


तुम मेरे नैनों की ज्योति
देख तुम्हें छाती हरयाली
बिन देखे तेरा सुन्दर मुखड़ा
दिल भटकता जैसे बोतल खाली//
तुम बिन मैं ,बिन डोर पतंग
बिन सुरभि जैसे कोई सुमन
खोलो अपने नैन नशीले
मुझे पिला दो पूरी प्याली //




स्वेत कमल पर हो बैठे
दो काले भवरे जैसी आँखें
शशि आई है तुम्हें खोजने
कर दो अब यह रैन मखमली //

कभी हभी गुलज़ार हैं आँखें
कभी पजी तलवार है आँखे
तेरी आँखों में छुपा खजाना
करना है अब मुझे रखवाली //

8 comments:

  1. सुन्दर रचना सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें .

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  2. वाह ...बहुत ही बढि़या ।

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  3. बड़े ही कोमल भाव पिरोये हैं।

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  4. बहुत सुंदर आंखें।

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  5. कोमल भाव ! सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  6. kya bat hai sir ji.....sunder ati sunder

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  7. कभी हभी गुलज़ार हैं आँखें
    कभी पजी तलवार है आँखे
    तेरी आँखों में छुपा खजाना
    करना है अब मुझे रखवाली //

    बहुत हि सुंदर भाव

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  8. कभी हभी गुलज़ार हैं आँखें
    कभी पजी तलवार है आँखे.
    .बहुत ही बढि़या.

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