
तुम मेरे नैनों की ज्योति
देख तुम्हें छाती हरयाली
बिन देखे तेरा सुन्दर मुखड़ा
दिल भटकता जैसे बोतल खाली//
तुम बिन मैं ,बिन डोर पतंग
बिन सुरभि जैसे कोई सुमन
खोलो अपने नैन नशीले
मुझे पिला दो पूरी प्याली //
स्वेत कमल पर हो बैठे
दो काले भवरे जैसी आँखें
शशि आई है तुम्हें खोजने
कर दो अब यह रैन मखमली //
कभी हभी गुलज़ार हैं आँखें
कभी पजी तलवार है आँखे
तेरी आँखों में छुपा खजाना
करना है अब मुझे रखवाली //
सुन्दर रचना सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें .
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteबड़े ही कोमल भाव पिरोये हैं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर आंखें।
ReplyDeleteकोमल भाव ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeletekya bat hai sir ji.....sunder ati sunder
ReplyDeleteकभी हभी गुलज़ार हैं आँखें
ReplyDeleteकभी पजी तलवार है आँखे
तेरी आँखों में छुपा खजाना
करना है अब मुझे रखवाली //
बहुत हि सुंदर भाव
कभी हभी गुलज़ार हैं आँखें
ReplyDeleteकभी पजी तलवार है आँखे.
.बहुत ही बढि़या.