बिहार के पश्चिम चंपारण जिले का अनुमंडल है ..बगहा .करीब एक लाख की आवादी । नेपाल और उत्तरप्रदेश की सीमा पर बसा हुआ । बात २००६ की है ..माह जुलाई अगस्त । वाल्मीकिनगर से आनेवाली गंडक नदी , बगहा-गोरखपुर रेल -सड़क पुल छितौनी से गुजरने के बाद दो उप धाराओ में बट जाती है । बगहा की तरफ जो उपधारा आती है उसे "रोहुआ " नाला कहते है ।
नदियाँ अपने साथ सिल्ट ( मिटटी के बहुत ही महीन कण ) लाती है और उसे जहां -तहां बेतरतीब रूप में ज़मा
कर देती है ,जिसके कारण नदियों के बहाब -मार्ग में परिवर्तन होते रहता है ।
बगहा -वाल्मीकिनगर पथ N H 28 बी से रोहुआ नाला ...बगहा के शास्त्रीनगर महल्ला से करीब १००० फिट दूर था ।
गंडक नदी में ,सिल्ट के बेतरतीब रूप में जमा होने के कारण इस वर्ष नदी के पुरे जलश्राव का ९० % रोहुआ नाला की तरफ मुड गया था । नदी को पुरे पानी को ढोने के क्रम में नदी अपना किनारा काटने लगी।
नदी का उपरी जलस्तर प्राकृतिक भूमि (natural soil लेवल) से लगभग तीन फिट नीचे थी ।
जैसा की जल संसाधन विभाग में होता है , एक कार्यपालक अभियंता के नेतृत्व में अभियंताओं की एक टीम नदी का कटाब रोकने हेतु लगा दी गई थी । नायलोन क्रेट में सीमेंट के खाली बोरे में ईट के टुकड़े भरकर कटाव को रोकने का प्रयास जारी था । मगर नदी थी ..मानने का नाम नहीं ले रही थी ।
कटाव को देखते हुए ...नागरिकों ने राजमार्ग को बन्द कर दिया । बगहा के तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी श्री अभय कुमार सिंह( भा ० प्र ० सेवा ) और खंड विकास अधिकारी श्री प्रदीप गुप्ता (बिहार प्र ० सेवा ) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जिला पदाधिकारी श्री मिहिर कुमार सिंह को एवं जल संसाधन विभाग को त्राहिमाम सन्देश भेजा । दोनों पदाधिकरियोम के आश्वाशन के बाद बन्द वापस लिया गया ।
दुसरे दिन स्वं ज़िलापदाधिकारी बेतिया से रेलगाड़ी द्वारा बगहा आ कर कटाव स्थल का दौरा किया गया । उनके साथ जल संसाधन बिभाग के वरीय अभियंता भी थे । जिनमे मुख्य अभियंता श्री श्यामनंदन प्रसाद भी थे । नदी का कटाव बहुत तेजी से सड़क की तरफ बढ़ रहा था । नदी के किनारे पर बना एक सामुदाइक भवन एवं पीपल का एक विशाल वृक्ष नदी के गर्भ में सब पदाधिकारियो के समक्ष समा गया।
नदी के रौद्र रूप से मैं भी पहली बार परिचित हो रहा था । लोगो में दहशत का माहौल था ।जितनी मुह उतनी बाते । कोई कहता कटाव वाले स्थल पर पापियों का अड्डा है ,कोई कहता जान बुझकर पानी को मोड़ दिया गया है । अखबारों में खबर छाप जाने के कारण दुसरे जगहों से भी लोग यहाँ पहुचने लगे .
मुख्य अभियंता एवं जिला पदाधिकारी द्वारा जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव श्री अशोक कुमार से कटाव स्थल से ही बात की। उनके द्वारा बताया गया कि स्वं बाढ़ -विशेषग्य श्री नीलेंदु सान्याल के साथ कटाव स्थल का दौरा करेगे ।
इसी बीच बगहा के किसी वकील ने पटना उच्चान्यालय में लोक हित याचिका दायर कर दी कि बाढ़ कटाव के कार्यो में स्थानीय प्रशासन और अभ्यान्ताओ द्वारा शिथिलिता बरती जा रही है । पटना हाई -कोर्ट ने अनुमंडल पदाधिकारी और न्यायिक्पदाधिकारी से अब तक किये कार्यो के बारे में जानकारी मांगी गई । हाई कोर्ट संतुष्ट हो गया ।
दुसरे दिन बगहा कचहरी मैदान में राज्य सरकार के हेलिकोप्टर से जल संसाधन के प्रधान सचिव और बाढ़ विशेषग्य श्री सान्याल बगहा पहुचे ।
श्री सान्याल ,तुरंत कटाव स्थल पहुंचकर नदी के धारा के वेग को मापा । उन्होंने बताया कि नदी के पानी का वेग इतना ज्यादा हाई कि खाली सीमेंट के बुरे में ईट के टुकड़े भर कर देने से कटाव रोकने का प्रयास निर्थक होगा ।
उन्होंने निन्म सुझाव दिए
१)...लोहे कि जाली 10' x 5' x 2' माप का में पत्थर रखकर नदी के बेड में डाला जाए । एक पत्थर कम से कम ५० किलो का हो
(२)... जहा कटाव ज्यादा था, नदी के बेड में सखुआ के बल्ले गाड़ने को कहा गया ।
(३)... रात -दिन कार्य जारी रखा जाए , तीन पालियों में काम कराया जाए ।
तुरंत मिर्जापुर ( उत्तर प्रदेश ) से लगभग ५० ट्रक पत्थर ढोने में लग गए । एक दल रांची से बल्ले लाने चला गया ।
कटाव एवं सुरक्षात्मक कार्य २४ घंटे ज़ारी रखा गया । एक पाली में पांच ईंजिनीयर थे ....मैं भी एक पाली का नेतृत्व
कर रहा था ।
तीन दिनों तक अहर्निश कार्य कराने के बाद नदी कुछ शांत हुई ...और अंततः हमलोग बगहा को बचने में समर्थ हुए । मगर हमलोग लगभग एक सौ पक्के मकान और २०० कच्चे मकान नहीं बचा सके ।
प्रकृति से युद्ध का यह मेरा पहला अनुभव था ।
Followers
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
बादलों के पीछे इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना कमल के ऊपर भवरे का मचलना फूलों से लदकर कचनार की डाली का झुक जाना हरी दूब के उपर ओस ...
-
नीलगगन सी तेरी साडी गहने चमके जैसे मोती आओ प्रिय ,अब साथ चले हम बनके जीवन साथी // उपवन के फूलों सी जैसी खुशबू तेरे बालों की परागकणों से लद...
-
आह भी तुम, वाह भी तुम मेरे जीने की राह भी तुम छूकर तेरा यौवन-कुंदन उर में होता है स्पंदन पराग कणों से भरे कपोल हर भवरे की चाह तो तुम// छंद...
-
अनजान,अपरिचित थी तुम जब आई थी मेरे आँगन खोज रहे थे नैन तुम्हारे प्रेम ,स्नेह का प्यारा बंधन // जब आँगन में गूंजी किलकारी खिल उठे चहु ओर...
-
मैंने ख्वाहिशों के आसमान में अपने दिल की कूची से तुम्हारी मुस्कुराहटों का रंग लेकर इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी पर ... तुम...
-
गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी चलो प्यार की फुलवारी में संभल कर चलना मेरे हमदम कहीं फंस न जाओ झाड़ी में // कर ना देना छेद कभी प्यार की इस पिच...
-
आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गय...
-
बादल बरसे घनन -घनन पायल बाजे छनन -छनन मस्त पवन में बार-बार ,तेरा आँचल उड़ता जाए देख तुम्हारा रूप कामिनी, कौन नहीं ललचाए // हर पत्ता बोले...
-
तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया // आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने मगर आप खुद ही अश्...
-
कई रंग देखे ,कई रूप देखे और देखें मैंने कितने गुलाब कई हंसी देखे,देखी कितनी मुस्कुराहटें मगर नहीं देखा तुमसा शबाब // (अपने मित्र अजेशनी...
bahut hi rochak or jaandaar tareekey se sabhi logo ne saamna kiya prakriti ke is bhayankar roop ka..salaam hai aapko
ReplyDeleteShree Baban Bhai Ji, aap ka ye lekh bahut hi rocha hai...aap sbhi ki bahaduri ko salam...ye baat sahi hai ki prakriti ke samane kabhi-kabhi vigyan fel ho jata hai.fir bhi aap logo ne jo kiya sarahaniy hai.
ReplyDelete