खोज ली हमने
तरह -तरह के रोगों के जनक
विषाणुओ और जीवाणुओ को
सूरज की लालिमा और
तबाह करने वाले चक्रवातों के
कारणों को भी ॥
बाँझ महिलायों को पुत्रवती बनाने का
रहस्य खोज लिया , हमने
पानी में /सूक्ष्मतम कनों में
छिपे ऊर्जा को खोज लिया हमने ॥
सूर्य की रौशनी / हवा के झोंके को
बदल देते है हम बिजली में ॥
कृत्रिम हृदय बना लिया हमने
और तो और
उस जीन को भी खोज लिया हमने
जो चमरियो का कसाब ढीला करती है
हम अग्रसर है ...
आयु का शतक लगाने की ओर ॥
ऐसा कर ....
एक तरफ हम चुनौती देते है
ईस्वर की सृष्टी को
कहते है ...ईश्वर नहीं है
तो दूसरी तरफ
ईस्वर के नाम पर रोज लड़ते है॥
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Babanji, mera to yeh maanna hai, ki vigyan ki itni tarakki bhi isiliye hai, kyunki ishwar aisa chaahte hain. ishwar ke hone main to koi matbhed hi nahin hai, na hi ishwar ke astitwa ko nakara jaa sakta hai.Hum log hamesha yahi kahte hai....."prabhu Ichcha".Ishwar ke naam par jo ladte hain bhagwaan unhe bhi bachcha budhi kah kar maaf kar dete hain.
ReplyDeletekash koi bhagwan ka bhi khoj kar leta .. vigyanik yug me bhi bhagwan ka jati dhar ke naam per alg-alg kion puja jata hain..???
ReplyDeletePandey ji very nice ....wah :)
thanks...Bhuwneshwar Nath ji ....and ..vijay lakshmi ji ...keep reading ..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया पंक्तिया लिखी है आपने बबन जी | बबन जी हम लोग जो खोजे अपने फायदे के लिए करते है ना उससे फायदा तो हमें कम होता है और उससे नुक्सान हमें ज्यादा पहुंचता है |क्या मेरी बात सही है बबन जी|
ReplyDeleteआनंद भाई ,..ब्लॉग देखने और अनुशरण करने के लिए आपका आभारी हूँ
ReplyDeleteआपके प्रश्न के उत्तर में एक बात रजनीश की याद आ गयी
" एक बार मूर्तिकार को पत्थर काट कर मूर्ति बनानी थी ...मूर्ति बन जाने पर ...राजा खुश हुआ ..
मगर मूर्तिकार को कोई ख़ुशी न हुई ...उसने कहा ..मूर्ति तो पहले से ही बना था ..मैंने तो सिर्फ ..उसके ऊपर पत्थर का जो अतिरिक्त मलबा पड़ा था ...उसे हटा दिया है .."
इसी प्रकार खोज तो हो चुकी है ....हम कुछ नया नहीं खोज रहे ...उसके ऊपर के आवरण को हटा रहे है
that,s great i like it
ReplyDeleteshukriya ....shailendra ji ...keep reading
ReplyDeleteऐसा कर ....
ReplyDeleteएक तरफ हम चुनौती देते है
ईस्वर की सृष्टी को
कहते है ...ईश्वर नहीं है
तो दूसरी तरफ
ईस्वर के नाम पर रोज लड़ते है॥
pankti bahot achchi hai parantu iashwar ko na to koi chunouti de paya hai aur na hi koi de payega.....unki srijanshakti ko lalkarne walaa ek din khud gart mein chala jayega par chunouti mein kabhi jeet nahi payega.....chahe wo laakh koshish kar le........
baban ji isey anyatha na lenge ye mere apne vichar hain....
waise apki rachna qabil-e-taaref hai....
badhai aapko