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Tuesday, April 10, 2012

ग़ज़ल -2012

तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया
मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया //

आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए //

दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //

आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
पास आने की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //

18 comments:

  1. आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
    मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए

    बेहतरीन शेर बबन भाई .....यह मंजर दिल को झकझोर देता है जब ऐसा किसी के साथ होता है...आप ने बहुत खूब शब्दों में पिरोया है इसे

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  2. thanks a lot.. UPASANA Siag jee... for coming on my blog.. plz do regular visit //

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  3. yes < Naresh bohra jee, we face always this like situation ...

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  4. दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
    आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //
    YES sir , when some see the shortcoming inside oneself he found he is not innocent..

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  5. आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
    पास आने की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //
    वाह !!! बहुत सुन्दर गजल ,बबन जी,..
    बेहतरीन प्रस्तुति,.....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....

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  6. बबन जी की प्रेम कवितायेँ निराले होते हैं ---
    "दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
    आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया " बहुत गहरी बात ...

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  7. ह्रदय को छू गई पांडे जी आपकी कविता !

    "आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
    मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए //"

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  8. बबन जी की प्रेम कवितायेँ निराले होते हैं ..."दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
    आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया " बहुत गहरी बात

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  9. krishna kant pathakApril 10, 2012 at 9:18 AM

    आप कि रचना पढ़ी | ये सत्प्रयास जारी रखें \ अच्छी रचनाएँ कम मिलती हैं आजकल | साधुवाद |

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  10. सुन्दर सृजन , बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.

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  11. आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
    पास आने
    की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //
    अच्छा शैर है .

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  12. दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
    आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //
    Bahut Umda....

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  13. पास आने की कोशिस में मैंने चलना सीख लिया ....बहुत खूब भाई जी .......

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  14. Babbban Ji aapto kamal hi kiye hain. Tasvir bhaut hi achhi ubhari hai apne bahumoolya shabodon ki. Tarif karoon main kiski?

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  15. अंजीर सोनवणेApril 5, 2013 at 9:10 PM

    वाकइ सुंदरता कि कसौटी पर खरी उतरनेवाली गजल है जो एक दफा अपने जीवन कि प्रिया को याद दिला दी सच मे जिवंत गजल है जो अपने भूतकाल मे ले जाती है और और उसी कि याद दिलाती है जो अपनी जिंदगी का एक हिस्सा थी कभी ,,,,,,,,भाई बहुत सुंदर कल्पना है, जिसमे सचाइ कि गंध आती है,,...

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