तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया
मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया //
आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए //
दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //
आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
पास आने की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //
मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया //
आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए //
दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //
आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
पास आने की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //
bahut sundar
ReplyDeleteआप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
ReplyDeleteमगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए
बेहतरीन शेर बबन भाई .....यह मंजर दिल को झकझोर देता है जब ऐसा किसी के साथ होता है...आप ने बहुत खूब शब्दों में पिरोया है इसे
thanks a lot.. UPASANA Siag jee... for coming on my blog.. plz do regular visit //
ReplyDeleteyes < Naresh bohra jee, we face always this like situation ...
ReplyDeleteदूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
ReplyDeleteआज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //
YES sir , when some see the shortcoming inside oneself he found he is not innocent..
आपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
ReplyDeleteपास आने की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //
वाह !!! बहुत सुन्दर गजल ,बबन जी,..
बेहतरीन प्रस्तुति,.....
RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
बबन जी की प्रेम कवितायेँ निराले होते हैं ---
ReplyDelete"दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
आज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया " बहुत गहरी बात ...
ह्रदय को छू गई पांडे जी आपकी कविता !
ReplyDelete"आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने
मगर आप खुद ही अश्क बहा कर चल दिए //"
बबन जी की प्रेम कवितायेँ निराले होते हैं ..."दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
ReplyDeleteआज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया " बहुत गहरी बात
आप कि रचना पढ़ी | ये सत्प्रयास जारी रखें \ अच्छी रचनाएँ कम मिलती हैं आजकल | साधुवाद |
ReplyDeleteसुन्दर सृजन , बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteआपको देखकर , रूमानी होना कोई गुस्ताखी तो नहीं
ReplyDeleteपास आने
की कोशिश में, मैंने चलना सीख लिया //
अच्छा शैर है .
दूसरों को पढने में , भूल गया था मैं अपना चेहरा
ReplyDeleteआज आईने में,अपना चेहरा ही बदरंग नज़र आया //
Bahut Umda....
पास आने की कोशिस में मैंने चलना सीख लिया ....बहुत खूब भाई जी .......
ReplyDeleteVery nice Baban ji ..
ReplyDeleteBabbban Ji aapto kamal hi kiye hain. Tasvir bhaut hi achhi ubhari hai apne bahumoolya shabodon ki. Tarif karoon main kiski?
ReplyDeleteaabhar dubey bhai ...
Deleteवाकइ सुंदरता कि कसौटी पर खरी उतरनेवाली गजल है जो एक दफा अपने जीवन कि प्रिया को याद दिला दी सच मे जिवंत गजल है जो अपने भूतकाल मे ले जाती है और और उसी कि याद दिलाती है जो अपनी जिंदगी का एक हिस्सा थी कभी ,,,,,,,,भाई बहुत सुंदर कल्पना है, जिसमे सचाइ कि गंध आती है,,...
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