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Tuesday, April 3, 2012

भूख


रोटी .....
मिटा देता है भूख
पेट की
फिर पैदा हो जाती है
वासना की भूख
संपत्ति की भूख
नाम कमाने की भूख
दूसरों को नीचा दिखने की भूख ॥
और आदमी
जिस दिन इन भूखों को मिटा लेगा
तो क्या हम उसे आदमी कहेगें ?

13 comments:

  1. सार्थक प्रश्न

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  2. निश्चिंत रहे...इसके बाद भी एक भूख रहती है परमानंद की...

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  3. भूख हमेशा बनी रहती है,
    बहुत बढ़िया सार्थक सटीक रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  4. सार्थक सृजन, आभार.

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    Replies
    1. बहुत बढ़िया बब्बन भाई ।।

      बधाई ।।

      क्षुधा मिटे ते कामना, बढ़ें ह्रदय अभिलाख ।

      बढे लालसा वासना, हो बकवादी भाख ।।

      हो बकवादी भाख, भाड़ में जाए इज्जत ।

      समझाए धी लाख, चाबता पापड लिज्जत ।

      मिटा सका जो भूख, आदमी भूखा तब भी ।

      हो दानव या देव, झेल जाएगा रब भी ।

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  5. यह उत्कृष्ट प्रस्तुति
    चर्चा-मंच भी है |
    आइये कुछ अन्य लिंकों पर भी नजर डालिए |
    अग्रिम आभार |
    FRIDAY
    charchamanch.blogspot.com

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  6. शायद भूख का नाम ही जीवन है....यह तो मौत के साथ ही जायेगी..अंतिम सांस तक जीने की भूख तो लगी ही रहती है.

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  7. Sahi kaha aapne sir jis din insaan in sabhi bhooko se nijaat paa lega us din vo sach me insaan kahlane layak ban jaayega...........

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  8. बहुत खूब --- आदरनीय भाई ...... खुबसूरत रचना // बधाई !!

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  9. वासनाएं ही हैं यह सब .वासना और एषणा ज़िन्दगी के साथ ही जातीं हैं अगले जन्म का संस्कार बनके .बढ़िया रचना विचार प्रधान .

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  10. मतलब रोटी की भूख मिटने के बाद भूख ही भूख ......!

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  11. जिस दिन इन भूखों को मिटा लेगा
    तो क्या हम उसे आदमी कहेगें
    a good question indeed

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  12. बहुत ही सुन्दर रचना..

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