Followers
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
बादलों के पीछे इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना कमल के ऊपर भवरे का मचलना फूलों से लदकर कचनार की डाली का झुक जाना हरी दूब के उपर ओस ...
-
नीलगगन सी तेरी साडी गहने चमके जैसे मोती आओ प्रिय ,अब साथ चले हम बनके जीवन साथी // उपवन के फूलों सी जैसी खुशबू तेरे बालों की परागकणों से लद...
-
आह भी तुम, वाह भी तुम मेरे जीने की राह भी तुम छूकर तेरा यौवन-कुंदन उर में होता है स्पंदन पराग कणों से भरे कपोल हर भवरे की चाह तो तुम// छंद...
-
अनजान,अपरिचित थी तुम जब आई थी मेरे आँगन खोज रहे थे नैन तुम्हारे प्रेम ,स्नेह का प्यारा बंधन // जब आँगन में गूंजी किलकारी खिल उठे चहु ओर...
-
मैंने ख्वाहिशों के आसमान में अपने दिल की कूची से तुम्हारी मुस्कुराहटों का रंग लेकर इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी पर ... तुम...
-
गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी चलो प्यार की फुलवारी में संभल कर चलना मेरे हमदम कहीं फंस न जाओ झाड़ी में // कर ना देना छेद कभी प्यार की इस पिच...
-
आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गय...
-
बादल बरसे घनन -घनन पायल बाजे छनन -छनन मस्त पवन में बार-बार ,तेरा आँचल उड़ता जाए देख तुम्हारा रूप कामिनी, कौन नहीं ललचाए // हर पत्ता बोले...
-
तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया // आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने मगर आप खुद ही अश्...
-
कई रंग देखे ,कई रूप देखे और देखें मैंने कितने गुलाब कई हंसी देखे,देखी कितनी मुस्कुराहटें मगर नहीं देखा तुमसा शबाब // (अपने मित्र अजेशनी...
आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
ReplyDeleteमौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई //
इश्क की नमकीनी और गर्मी है भाई साहब यह .बढ़िया रचना भाव जगत को रूपायित करती ...
यादों की दरिया में मैं डूबता चला गया
ReplyDeleteभूख तो कम हुई, मगर प्यास बढती गई..........
kya baat hai...anubhavjany panktiyan...
भूलने की कोशिस में , तुम और याद आती गई
ReplyDeletekya khub kaha hai...........
यादों की दरिया में मैं डूबता चला गया
ReplyDeleteभूख तो कम हुई ,मगर प्यास बढती गई //
बहुत सुंदर रचना...बबन जी .....
.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
शुक्रिया ... लाज़वाब लेखन SIR JEE
ReplyDeleteजालिम शेर -
ReplyDeleteकातिल निगाह
नजरें रख के चित्र पर, दिया शेर पर ध्यान ।
हुआ कलेजा चाक फिर, दिया दर्द एहसान ।।
बहुत खूब...
ReplyDeleteआपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
ReplyDeleteमौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई //...bahut sunder
अच्छा लगा पढ़ना.
ReplyDeleteबढाते रहिये प्यास!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteभूलने की कोशिस में , तुम और याद आती गई
ReplyDeleteहवा तो कम हुई , मगर वारिस बढती गई //
बहुत सुंदर.
आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
ReplyDeleteमौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई // excellent