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Saturday, April 14, 2012

भूख तो कम हुई ,प्यास बढती गई


भूलने की कोशिस में , तुम और याद आती गई
हवा तो कम हुई , मगर वारिस बढती गई //

यादों की दरिया में मैं डूबता चला गया
भूख तो कम हुई ,मगर प्यास बढती गई //

आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
मौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई //

13 comments:

  1. आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
    मौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई //
    इश्क की नमकीनी और गर्मी है भाई साहब यह .बढ़िया रचना भाव जगत को रूपायित करती ...

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  2. यादों की दरिया में मैं डूबता चला गया
    भूख तो कम हुई, मगर प्यास बढती गई..........
    kya baat hai...anubhavjany panktiyan...

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  3. भूलने की कोशिस में , तुम और याद आती गई
    kya khub kaha hai...........

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  4. यादों की दरिया में मैं डूबता चला गया
    भूख तो कम हुई ,मगर प्यास बढती गई //

    बहुत सुंदर रचना...बबन जी .....
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  5. शुक्रिया ... लाज़वाब लेखन SIR JEE

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  6. जालिम शेर -

    कातिल निगाह



    नजरें रख के चित्र पर, दिया शेर पर ध्यान ।

    हुआ कलेजा चाक फिर, दिया दर्द एहसान ।।

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  7. आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
    मौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई //...bahut sunder

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  8. बढाते रहिये प्यास!!

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  9. भूलने की कोशिस में , तुम और याद आती गई
    हवा तो कम हुई , मगर वारिस बढती गई //

    बहुत सुंदर.

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  10. आपकी मस्त साँसें भी गज़ब ढाती है मुझ पर
    मौसम तो सर्द हुई , मगर तन की गर्मी बढती गई // excellent

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