
मेरे दिल की धड़कन
मेरे होठों की बुलबुल
मेरे दिए की ज्योति
तुम कहाँ हो ... प्रिय!
लोग कहते हैं
बसंत आया हैं
तुम बिन कैसा बसंत प्रिय!
सुनो !
तुम जब तक नहीं आओगी
मैं ......
फूलों पर
परागों का निषेचन कर रहे
हर भवरे /हर तितली को
उडाता फिरूंगा //
(चित्र गूगल से साभार )
कविता मेँ प्रेम पगी करुणा के रंग बिखर रहे है।
ReplyDeleteबबन भाई इस सुंदर रचना के लिए बधाई।
मुक्त प्रेमालाप ............. सुंदर
ReplyDeleteअति सुन्दर ---
ReplyDeleteमुक्त प्रेम की बहुत बढ़िया सुंदर रचना,
ReplyDeletenew post...वाह रे मंहगाई...
बबन जी मै तो पहले से आपका समर्थक हूँ,आप भी फालो करे तो मुझे खुशी होगी
तुम जब तक नहीं आओगी
ReplyDeleteमैं ......
फूलों पर
परागों का निषेचन कर रहे
हर भवरे /हर तितली को
उडाता फिरूंगा //
sir...ji,from where do u get this...thinking?
sundar bhav hain ....... Dr. Vinit Pandey
ReplyDeleteरंगों में तब रंग कौन भरेगा..
ReplyDeleteप्रेमालाप ..... इस सुंदर रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर भावमयी प्रस्तुति..
ReplyDeleteभावमयी प्रस्तुति..
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