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Friday, January 27, 2012

मेरी अनुभूति -3


मैंने ...
एक फुद्फुदाती चिड़िया के
इन्द्रधनुषी पंखों पर अपना हाथ रखा
मुझे क्या पता था ...
मेरे हाथ गंदे/वजनी और रूखे हैं
जिसका भार वह सह नहीं सकती //

उसकी फड़फड़ाहट ने
मेरे मन को झकझोरा
यकीन मानिये .....
मेरे अंदर का रावण मर गया //

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर...

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  2. सुन्दर प्रस्तुति ।
    बसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर माँ शारदे को समर्पित 100वीं पोस्ट जरुर देखें ।

    "हे ज्ञान की देवी शारदे"

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  3. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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