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Saturday, November 12, 2011

तुमसे हम हैं


तेरी यादों की घी का
रोज एक दीया जलता हूँ
दिल के मंदिर में तुम्हें बैठा
रोज एक गीत सुनाता हूँ //

तेरी अधरों को बना पखवाज
रोज एक छंद बनता हूँ
तेरी मुस्कानों के डोर से बंधा
रोज एक पतंग उडाता हूँ //

5 comments:

  1. kya baat hai, sabdo ki jaadogari ka kamal
    lekhani se utar aya hai dil ka khayal,

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  2. आप तो प्रेमत्व में पूर्ण पगे हैं।

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  3. वाह बहुत खूब. क्या बात है मज़ा आ गया.

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  4. बहुत सुन्दर रचना , बधाई.



    .

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  5. बहुत सुंदर रचना बधाई....
    मेरी नई में स्वागत है

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