
( बसंत की माया बहुत ही प्रसिद्द है .....देखिये क्या होगा बसंत आने पर )
पत्ता-पत्ता हुआ पल्लवित
फूलों पर बिखरी है आभा
बूढ़ा मन भी युवा हो गया
देख बसंत की माया //
जाग उठी है अब तरुनाई
सुन बसंत की शहनाई
पाकर सुरमई नई कोंपलें
निखर उठी तरुवर की काया //
बूढ़ा मन भी युवा हो गया
देख बसंत की माया //
आ गई रुखसार पर लाली
गाती अब पायल और बाली
सजनी देख साजन मुस्काया
देखकर साली , बहका जीजा //
बूढ़ा मन भी युवा हो गया
देख बसंत की माया //
बहुत सुंदर कविता बब्बन जी
ReplyDeleteबसन्त आने पर आपकी कविता भी याद आयेगी।
ReplyDeleteab to basant ka intezaar karna hi padega bhai... beech me sardi abhi baaki hai... kavita achchhi bani hai... badhai...
ReplyDeleteपत्ता-पत्ता हुआ पल्लवित
ReplyDeleteफूलों पर बिखरी है आभा
बूढ़ा मन भी युवा हो गया
देख बसंत की माया //
सुन्दर रचना , बधाई.
बबन जी क्या खूब लिखा,
ReplyDeleteनिखर उठी तरुवर की काया बूढा मन भी युवा हो गया..सुंदर पोस्ट .
मेरे पोस्ट पर भी आइये,स्वागत है ....
शिशिर में वसंत सुन्दर रचना , बधाई.
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