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Monday, November 7, 2011

मुदिता


(पढने से पहले .... मुदिता शब्द का शाब्दिक होता है - मनोवांछित फल प्राप्त होने पर प्रसन्न नायिका या स्त्री )

जब छाती नभ में बदली
और पवन इठलाती
जब फूलों का गंध सूंघकर
तितली मन ही मन मुस्काती
मुदित मोर को देख मोरनी
जब स्वं प्रफुल्लित हो जाती
जब निशा में पूर्ण शशि
प्रचोदित चांदनी फैलाती
ऐसे दृश्य देख मनोहर
ओ प्रिय ! तुम मुदिता बन जाती //

(यह कविता अभिषेक गुप्ता के अनुरोध पर लिखी गई है )

7 comments:

  1. Babban ji aapki nayi kavita main aapka naya roop dekh achha laga. bahut achhi rachna baadhai sweekar karen.

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  2. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुती ...बधाई |

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  4. शब्द का अर्थ बताता चित्र।

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  5. Bahut sundar our madkta se srabor aapko abhinandan

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