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Sunday, November 6, 2011

कसम


मैंने ...
कभी फूलों को देखकर
प्यार न करने की कसम खाई थी //
मगर!
आपकी मुस्कुराहट ने
मेरी कसम तोड़ दी //

5 comments:

  1. wo muskurahat hi kya jo madhosh na kar de; wo kasam hi kya jo todi na jaaye:)

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  2. बबन जी ,...बहुत गहरी बात आपने अपनी रचना से कह दी..
    सुंदर पोस्ट...मेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...

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  3. WO PHOOL HI KYA JO N MOORJHAYE ? @ UDAY TAMHANEY.

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