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Tuesday, February 1, 2011

संकल्प

संकल्प ....यानि शपथ
संकल्प ...
क्या यह दिल की आवाज है
या फिर जुबां से निकले छिछले शब्द
क्या संकल्प तोड़ने के लिए किये जाते हैं !

डाक्टर -मानव सेवा का संकल्प लेते है
पुलिस -देश सेवा का
जज -न्याय को निरपेक्ष रखने का
और नेता - जन सेवा का
हम अग्नि के समक्ष संकल्प लेते हैं
जीवन के अंतिम स्टेशन तक साथ चलने की
अपने जीवन -साथी के साथ
यह संकल्प कोई नहीं लेता कि
वह बनाएगा रुपयों का एक पुल !!

फिर यह संकल्प टूट क्यों जाता है
संकल्प नहीं देता इजाजत
बार-बार लीक बदलने की !!

7 comments:

  1. संकल्प, विकल्प के सामने हार जाता है।

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  2. सहज, सटीक एवं प्रभावशाली लेखन के लिए बधाई!
    कृपया बसंत पर एक दोहा पढ़िए......
    ==============================
    शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
    गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
    सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी

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  3. विकल्प के सामने संकल्प हार जाता है।

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  4. सचमुच बाज़ार और इसके चकाचौंध के बीच जब चारो ओर मूल्य गिर रहे होते हैं... संकल्प टूट जाते हैं.. बढ़िया कविता..

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  5. बहुत ही उम्दा.सलाम.

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