तेरा आँचल  आवारा  बादल ,पता नहीं कहाँ बरसेगा  
 यौवन के इस  रसबेरी को पाने, कौन नहीं तरसेगा //
बूंद -बूंद मुस्कान होठों  का, पता नहीं कब बन जाए ओला    
वह   होगा  शूरवीर ही ,जो झेले तेरी आँखों का  गोला   
देख लाल -लाल  होठों  के फूल, तबियत  मेरी  बिगड़  रही  
उर  के  इस मक्खन   चखने, मन भवरा कब-तक तडपेगा //
सुरमई पवन हुई सुगन्धित ,और हुई सुवासित  बगिया 
कब होगा मधुर मिलन और कब मेरा  बाहं बनेगा तकिया   
हर मुस्कान एक झटका देती और हंसी गिराती बिजली 
गेसू से गिरते झरने में ,दुबकी लेने कौन नहीं तडपेगा // 



