Followers

Thursday, March 17, 2011

जब लेती तुम गलबहियां



अंग- अंग से यौवन बरसे
अँखियाँ दागे फुलझरियां
पक्षी बन मन उड़ जाता
जब लेती तुम गलबहियां //

हर महीना फागुन सा लगता
जब तेरी पायल बजती
हर महीना सावन सा लगता
जब तेरी आँचल उड़ती
चेहरे पर गेसू उड़ती ऐसे
मानों करती है शशि
काले घन से अठखेलियाँ //
पक्षी बन मन उड़ जाता
जब लेती तुम गलबहियां //

अंग-अंग मेरे, तेरे होंगे
सरगम गायेंगी सांसें
संगम होंगें उर के
जब मिल जायेंगी बाँहें
कोयल चहके या न चहके
बगिया महके या न महके
महक उठेगी अमरइयां
पक्षी बन मन उड़ जाता
जब लेती तुम गलबहियां //

9 comments:

  1. बबन जी, ये फाल्गुन का रंग-उमंग सब कुछ उंडेल दिया इन शब्दों के साथ... बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  2. Very nice keeping in with the 'Basant.'

    ReplyDelete
  3. bahut badhiya.. holi par sab chalega ! kahe door khade hain.. galbahiyaa ho lijiye.. photo mast lagaye hain..

    ReplyDelete
  4. बहुत बढ़िया लगा| धन्यवाद|

    ReplyDelete
  5. जय हो, आपकी होली मनमोहक बीते।

    ReplyDelete
  6. very romantic.
    होली की हार्दिक शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  7. बहुत प्रेममयी रचना..होली की हार्दिक शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  8. Baban ji achchi rachna, holi ki hardik shubhkamnaye............!!

    ReplyDelete
  9. http://ramkrishnakapana.blogspot.com/p/about-me.html

    ReplyDelete

Popular Posts