
अंग- अंग से यौवन बरसे
अँखियाँ दागे फुलझरियां
पक्षी बन मन उड़ जाता
जब लेती तुम गलबहियां //
हर महीना फागुन सा लगता
जब तेरी पायल बजती
हर महीना सावन सा लगता
जब तेरी आँचल उड़ती
चेहरे पर गेसू उड़ती ऐसे
मानों करती है शशि
काले घन से अठखेलियाँ //
पक्षी बन मन उड़ जाता
जब लेती तुम गलबहियां //
अंग-अंग मेरे, तेरे होंगे
सरगम गायेंगी सांसें
संगम होंगें उर के
जब मिल जायेंगी बाँहें
कोयल चहके या न चहके
बगिया महके या न महके
महक उठेगी अमरइयां
पक्षी बन मन उड़ जाता
जब लेती तुम गलबहियां //
बबन जी, ये फाल्गुन का रंग-उमंग सब कुछ उंडेल दिया इन शब्दों के साथ... बहुत बढ़िया
ReplyDeleteVery nice keeping in with the 'Basant.'
ReplyDeletebahut badhiya.. holi par sab chalega ! kahe door khade hain.. galbahiyaa ho lijiye.. photo mast lagaye hain..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा| धन्यवाद|
ReplyDeleteजय हो, आपकी होली मनमोहक बीते।
ReplyDeletevery romantic.
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत प्रेममयी रचना..होली की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteBaban ji achchi rachna, holi ki hardik shubhkamnaye............!!
ReplyDeletehttp://ramkrishnakapana.blogspot.com/p/about-me.html
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