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Wednesday, December 15, 2010

आईना


कमबख्त आईने
तुम भी दगा देते रहे
अब समझा ....
साठ की होकर भी
लोग कमसिन क्यों कहने लगे ?

14 comments:

  1. ....घाव करे गंभीर, सुन्दर रचना, साधुवाद.

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  2. हा हा हा !!!! बहुत ख़ूब ...60 की होके भी लोग़ कमसीन क्यूँ कहने लगे सच मे आईने ने धोखा दिया वर्ना हम भी गजब की बला थी.......अब हमारे भी यही दिन आने वाले हैं ....हा हा हा ..

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  3. कमबख्त आईने- kya khub likha hai

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  4. वन्दे मातरम...बबन भाई सुबह सुबह बहुत अच्छी क्षणिका पढ़ी...शुभकामनाएँ.........

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  5. शीशा हो या दिल हो...
    आखिर टूट जाता है ...

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  6. वाह जि वाह, गागर में सागर!

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  7. बबन जी, दगा आईने ने नहीं दिया................खुद के मन ने दिया ..............जिस दिन मन की आँखें खुली............सच्चाई सामने थी!!!!

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  8. मन की आँखें खोली क्या ...मन में हमेंशा से कमसिन विचार रखे तो अब आईने को दोष देने से कोई फायदा है क्या बबन भाई ?????जेसे विचार मन में मूरत भी वैसेही देखेगे ...प्रभु मूरत देखेउ तेसे !!!!!!४ पक्तिय पर सोचने पर मजबूर जीवन रेखा को !!!!!!!

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  9. बबन जी.........सही है....दिल कि तसल्ली के लिए ....आइना ही ......distorted ........ले लो.........और उसमे देख कर खुश होते रहो.........किसी के बाप का क्या जाता है......खुद तो खुश रहेंगी ही......

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  10. उम्र से कोई बूढ़ा नहीं होता. आईना सच बोल रहा है.

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  11. aaina shakl dikhata hai
    sach hai ,par
    aksar ye dil ka haal batata hai
    'kyonki dil to bachcha hai ji '

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  12. आइना वोही रहता है चेहरे बदल जाते है, दोष तो अपना है फिर आइना कमबख्त कैसे हुआ?

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  13. kyu aaine ko dosh den,,,,,,,,,,nazron me apne kyu na khot dekh len !!! Gr8 Lines

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  14. आईने से क्यु कहलाते हो क्या आप खुद ही खुद को नहीं जान पाते हो !
    खुबसूरत अंदाज़ !

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