पाटलिपुत्र ...पटना का पुराना नाम है यह कभी मौर्य साम्राज्य ,मगध साम्राज्य ,नन्द साम्राज्य और शुंग सामरज्यकी राजधानी था ।  पटना और आस-पास की खुदाई तो यही कहानी कहते है । पटना शहर के अंदर बसा कुम्हरारऔर राजगीर ,नालंदा की खुदाई से तो यही प्रमाण मिलता है । .....खैर मैं आपको पुराने पाटलिपुत्र की सैर नहींकराना चाहता ।
मैं आपको पटना -दर्शन कराना चाहता हूँ । आइये पटना की हृदय -स्थली कही जाने वाली गाँधी -मैदान के पासखड़े हो जाए । गांधी मैदान के पश्चिम "बिस्कोमान " भवन शायद पटना की सबसे ऊँची ईमारत है अभी हाल मेंबिस्कोमान भवन के उपर घूमता रेस्तरां खुला है ....बैठकर शहर का नज़ारा लीजिये । इस भवन में नालंदा खुलाविश्व्विदय्लय का कार्यालय है  साथ ही अन्य महतवपूर्ण कार्यालय है ।
गाँधी मैंदान के बिस्कोमान  भवन से सटा है पटना का प्रसिद्द होटल मौर्या । बाहर से आने वाले नेता अभिनेता यहीरुकते है । वैसे होटल पाटलिपुत्र अशोक और होटल चाणक्य यहाँ के दुसरे अच्छे होटल में शामिल है ।
गांधी मैदान के पास ही है पटना का प्रसिद्द "गोलघर "....इसे अनाज का भण्डारण करने के लिए ब्रिटिश शाशन कालमें बनाया गया था । ...कुछ ही दुरी पर है ..गांधी -संग्राहलय । एक और महत्वपूर्ण ईमारत है " श्री कृष्ण मेमोरिअलहॉल "....यहाँ  संगीत -उत्सव /कवि-गोष्ठी /प्रशिक्षण ईत्यादी का आयोजन  किया जाता है ।
अशोक राजपथ ....जो गाँधी मैंदान से पटना साहिब (पटना सिटी ) की ओर जाती है ...उसमे पटना विश्व -विद्यालय
साईंस कालेज और अभियंत्रण कालेज ला कालेज है  सबसे बड़ी बात इसी सड़क में गायघाट के पास सिखों के दशमेऔर अंतिम गुरु गोविन्द सिंह जी जन्म स्थली है । यहाँ का प्रकाशोत्सव अपने आप में अनूठा होता है ।
Followers
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
- 
बादलों के पीछे इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना कमल के ऊपर भवरे का मचलना फूलों से लदकर कचनार की डाली का झुक जाना हरी दूब के उपर ओस ...
 - 
अनजान,अपरिचित थी तुम जब आई थी मेरे आँगन खोज रहे थे नैन तुम्हारे प्रेम ,स्नेह का प्यारा बंधन // जब आँगन में गूंजी किलकारी खिल उठे चहु ओर...
 - 
आह भी तुम, वाह भी तुम मेरे जीने की राह भी तुम छूकर तेरा यौवन-कुंदन उर में होता है स्पंदन पराग कणों से भरे कपोल हर भवरे की चाह तो तुम// छंद...
 - 
नीलगगन सी तेरी साडी गहने चमके जैसे मोती आओ प्रिय ,अब साथ चले हम बनके जीवन साथी // उपवन के फूलों सी जैसी खुशबू तेरे बालों की परागकणों से लद...
 - 
मैंने ख्वाहिशों के आसमान में अपने दिल की कूची से तुम्हारी मुस्कुराहटों का रंग लेकर इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी पर ... तुम...
 - 
गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी चलो प्यार की फुलवारी में संभल कर चलना मेरे हमदम कहीं फंस न जाओ झाड़ी में // कर ना देना छेद कभी प्यार की इस पिच...
 - 
बादल बरसे घनन -घनन पायल बाजे छनन -छनन मस्त पवन में बार-बार ,तेरा आँचल उड़ता जाए देख तुम्हारा रूप कामिनी, कौन नहीं ललचाए // हर पत्ता बोले...
 - 
तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया // आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने मगर आप खुद ही अश्...
 - 
तुम बिन मेरी अँखियाँ सूनी और सूनी हैं बाहें रुक-रुक कर अब लव हिलते हैं और साँसें भरती आहें // लौटो भी अब , जल्दी आओ अंखियों से रस-जादू बरस...
 - 
आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गय...
 
आपको भारत के महापर्व दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट,
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
दीपावली का त्यौहार आप, सभी मित्र जनो को परिवार को एवम् मित्रो को सुख,खुशी,सफलता एवम स्वस्थता का योग प्रदान करे -
ReplyDeleteइसी शुभकामनओ के साथ हार्दिक बधाई।
इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteलेखन अपने आपमें रचनाधर्मिता का परिचायक है. लिखना जारी रखें, बेशक कोई समर्थन करे या नहीं!
ReplyDeleteबिना आलोचना के भी लिखने का मजा नहीं!
यदि समय हो तो आप निम्न ब्लॉग पर लीक से हटकर एक लेख
"आपने पुलिस के लिए क्या किया है?"
पढ़ सकते है.
http://baasvoice.blogspot.com/
Thanks.
sunder :)
ReplyDelete