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Saturday, December 3, 2011

साली है दिलवाली


लगती हो तुम मेरी साली
थमती सिर्फ चाय की प्याली
आओ बैठो, संग-संग मेरे
अब कर लो कुछ हंसी-ठिठोली //

घरवाली तो दाल-भात है
तुम ऊपर की सतरंगी चटनी
वो शराब है बिना नशा की
तुम हो जैसे भंग की गोली //
आओ बैठो, संग-संग मेरे
अब कर लो कुछ हंसी-ठिठोली //

9 comments:

  1. बेहद खुबसूरत लिखा है |

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  2. बहुत खूब लिखा है आपने।

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  3. सुंदर रचना.बधाई....
    मेरे पोस्ट में आपका स्वागत है

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  4. बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    बेहद खूबसूरत ...पोस्ट
    शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!

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  5. बहुत बढ़िया लिखा है आपने ...

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  6. वाह वाह ... सच है साली हो तो मज़ा ही कुछ और है ...

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  7. बहुत सुन्दर कविता है, पढ़कर दिल आनंदित हुआ !

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