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Monday, December 5, 2011

मेरी अनुभूति -1


फूल बनने को आतुर
कली में समाहित
पंखुड़ियों को
यह आभास भी नहीं हुआ होगा
कि...... एक दिन
उन्हें फूल से अलग हो जाना होगा //

ठीक इसी तरह
मुझे मालूम नहीं था प्रिय !
कि तुम्हारा साथ
एक दिन
इन्हीं पंखुड़ियों की तरह
टूट जाएगा //

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    बधाई ||

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  2. bahut sundar... chitra kahan se laate hain aap... adbhud !!

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  3. पंखुड़ियों का जीवन तो है ही कुछ लम्हों का ... पर भरपूर जीवन हो तो ये टूटना भी सार्थक हो जाता है ...

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  4. बिछुडने के अहसास का सुंदर शब्दिकरण. सुंदर प्रस्तुति.

    बधाई.

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