Followers

Tuesday, September 11, 2012

मुझको अब तू माँ बना दो

अधरों का रस जी भर पी लो
उर के खिलौने से तुम खेलो
हवा बसंती , मेरी जुल्फों से लहरा दो
मक्खन  सी काया को मेरी
अब जी भर कर सहला दो
आँगन में कोई फुल खिला दो
ओ मेरे साजन !
मुझको अब तू माँ बना दो

4 comments:

  1. अधरों का रस जी भर पी लो
    उर के खिलौने से तुम खेलो
    हवा बसंती , मेरी जुल्फों से लहरा दो
    मक्खन सी काया को मेरी
    अब जी भर कर सहला दो
    आँगन में कोई फुल(फूल ) खिला दो
    ओ मेरे साजन !
    मुझको अब तू (तुम )माँ बना दो

    सूक्ष्म जीव का आवाहन करना पड़ता है मातृत्व और पितृत्व के लिए .दैहिक प्रेम का सूक्ष्म (परिपूर्ण )सौपान है मातृत्व .
    ram ram bhai
    मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने

    ReplyDelete
  2. Kamal ki shabd rachana karte hai aap, maine kuchh our posting bhi padhi hai aap ki Check out my blog Our India

    ReplyDelete

Popular Posts