Followers
Monday, January 17, 2011
एक औरत का प्रश्न
सच सच और केवल सच
बोलना मेरे सनम
क्या तुमने मेरे सिवा
किसी और को नहीं चाहा
किसी और देहयष्टि को नहीं छुआ
किसी युवा कामिनी के
अधरों की लाली देखकर
तुम्हारी कामुकता नहीं जगी
तुम्हारा हृदय तरंगित नहीं हुआ
तुमने नयन-मटक्का नहीं किया //
बहुत दिनों से
यह प्रश्न रेंग रहा था
मेरे हृदय में
जब से मैंने
कहते सूना था तुम्हें
अपने एक दोस्त से
घर की मुर्गी दाल बराबर
सुनो ....
अगर देखना चाहते हो मुझे सावित्री
तो तुम्हें भी सत्यभान बनना होगा //
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
बादलों के पीछे इन्द्रधनुष का प्रतिबिम्बित होना कमल के ऊपर भवरे का मचलना फूलों से लदकर कचनार की डाली का झुक जाना हरी दूब के उपर ओस ...
-
नीलगगन सी तेरी साडी गहने चमके जैसे मोती आओ प्रिय ,अब साथ चले हम बनके जीवन साथी // उपवन के फूलों सी जैसी खुशबू तेरे बालों की परागकणों से लद...
-
आह भी तुम, वाह भी तुम मेरे जीने की राह भी तुम छूकर तेरा यौवन-कुंदन उर में होता है स्पंदन पराग कणों से भरे कपोल हर भवरे की चाह तो तुम// छंद...
-
अनजान,अपरिचित थी तुम जब आई थी मेरे आँगन खोज रहे थे नैन तुम्हारे प्रेम ,स्नेह का प्यारा बंधन // जब आँगन में गूंजी किलकारी खिल उठे चहु ओर...
-
मैंने ख्वाहिशों के आसमान में अपने दिल की कूची से तुम्हारी मुस्कुराहटों का रंग लेकर इन्द्रधनुष बनाने की कोशिश की थी पर ... तुम...
-
गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी चलो प्यार की फुलवारी में संभल कर चलना मेरे हमदम कहीं फंस न जाओ झाड़ी में // कर ना देना छेद कभी प्यार की इस पिच...
-
बादल बरसे घनन -घनन पायल बाजे छनन -छनन मस्त पवन में बार-बार ,तेरा आँचल उड़ता जाए देख तुम्हारा रूप कामिनी, कौन नहीं ललचाए // हर पत्ता बोले...
-
आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गय...
-
तुमको पाकर , मैं चांदनी में नहा गया मगर कमबख्त सूरज खफा क्यों हो गया // आप आये थे ,रुमाल से मेरे अश्कों को पोछने मगर आप खुद ही अश्...
-
कई रंग देखे ,कई रूप देखे और देखें मैंने कितने गुलाब कई हंसी देखे,देखी कितनी मुस्कुराहटें मगर नहीं देखा तुमसा शबाब // (अपने मित्र अजेशनी...
बहुत सार्थक और तार्किक !
ReplyDeleteaap purush ho ke kaphi sanvedansheelta se naari ko vyakt kar paate ho---sab ko sita chahiye---sita to sirf Ram ki hi hai---Ram to maryada puroshottam hai---
ReplyDeleteअति सुन्दर अभिव्यक्ति I हर व्यक्ति को सत्यवान व् नारी को सावित्री का आचरण वर्ण करना ही चाहिए I यही सुखी जीवन का आधार है I
ReplyDeletebahut hi badiya ,agar sita chaahiye pahle raam bankar dikhana hi hoga
ReplyDeleteवाह बबन जी आज का काफी तार्किक प्रशन छोड़ा है !!!!!!!बहुत ही हिलाने वाला इन्सान को खुद को सोचने पर विवश करता ..चाहे इधर या उधर से !!!!!!!!!!!!!!Nirmal Paneri
ReplyDeleteबबन जी, न तो कोई सावित्री मिलेगी आपको, न ही कोई सत्यभान....................आपके पैमाने पर खरे उतरने वाले..............दिल बेचारा नादान है....................बहक जाता है.......................लेकिन तारीफ़ उसकी जो दिल और दिमाग के बीच संतुलन बना कर सही कदम उठाये!!!!
ReplyDeleteशब्दशः सच।
ReplyDeleteअगर देखना चाहते हो मुझे सावित्री
ReplyDeleteतो तुम्हें भी सत्यभान बनना होगा
सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
ReplyDeleteअगर देखना चाहते हो मुझे सावित्री
ReplyDeleteतुम्हें भी सत्यभान बनना होगा /
बहुत सही.....ताली एक हाथ से नही बजती.....हा हा हा
वाह सर जी... ये हुई न बात... बहुत सही...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete"ना सिया ना राम जगत में
ReplyDeleteहै फिर क्यूँ अभिमान जगत में
सुर तो साधे सबकी कथनी
करनी का सम्मान जगत में"
आपकी ये पोस्ट अच्छी लगी बबन जी
बहुत अच्छी रचना भ्राता श्री !
ReplyDeleteबबन जी! सार्थक और सटीक जबाब, अपने दिल से अपने को जानो....नारी तुम केवल श्रधा हो रजत.....पर आज के चकाचौंध भरे ज़िन्दगी में नारियों की ज़िन्दगी भी तंगहाल है पर पुरुषों पर शक करना उनकी फितरत है......लेकिन सच्चे प्रेम में तो 'शक' की गुंजाईश ही नहीं तो ऐसे प्रश्न ही निरर्थक लगते हैं ऐसा मेरा अनुभव है.
ReplyDeleteसादर
अति सुन्दर अभिव्यक्ति....!!
ReplyDeleteबहुत सादगीपूर्ण और प्रभावी रचना !बधाई !!
ReplyDelete