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Tuesday, January 11, 2011
अंगड़ाई
तुम मुस्काई ऐसे , जैसे मुस्काया टेसू का फूल
मन की पीड़ा और वेदना,देख तुम्हें गया मैं भूल
लाल-लाल कोमल सी अधरे,झरने का गीत सुनाए
सागर की लहरों सी ऊर्जा , देख तुम्हें मिल जाए //
मंद पवन का झोंका क्या लू ,तेरी अंगडाई ही काफी
बिन पिए नशा सा छाया , ओ मेरे जीवन साथी
हिरन सा अब दौडूगा, पक्षी बन नभ में सैर करूंगा
मत घबराना मेरे प्रियतम ,पग -पग साथ चलूँगा //
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ReplyDeleteप्रेम की सुंदर अनुभूति... बहुत सुंदर
ReplyDeletevery high spirited and positive-----
ReplyDeleteबहत ही नाजुक से ख्याल ..;।
ReplyDeleteपग पग तेरे साथ चलुंगा ! वाह वाह बहुत खुब ! सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबबन जी प्रेम और दिल से समर्पण की किसी इन्सान के प्रति अच्छी अभिव्यक्ति !!!!!!!!!!!
ReplyDeleteबहुत खूब सर...अति सुन्दर
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबबन जी , असलियत यही है की सच्चा प्यार उर्जा से भरपूर करने वाला होता है..............बहुत खूब!!!!
ReplyDeleteनाज़ुक विचार.
ReplyDeleteमत घबराना मेरे प्रियतम ,पग -पग साथ चलूँगा
ReplyDeleteबहुत खूब ........
चन्दन........
BAHUT KHUB JAI MATA DI
ReplyDeleteअच्छी रचना .
ReplyDeleteकभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें .
" पग _पग साथ चलूगाँ "
ReplyDeleteबहूत खूब । बधाई ...!
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबेहद सुन्दर... वाह...
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति...!
ReplyDelete...अति सुन्दर !!
मकर संक्रांति, लोहरी एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeletebahut sundar premanubhuti sabd hai sir
ReplyDeleteBAHUT ACHHA HE MERE BHAI.....
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